जब एक छोटे से कुत्ते ने बचाई 250 सैनिकों जान, पूरी दुनिया रह गई हैरान
- स्मोकी जिसे प्राप्त है दुनिया के सबसे छोटे वॉर सोल्जर का दर्जा
- पूरी दुनिया में अपनी बहादुरी के लिए है मशहूर
- जनवरी 1945 में किया था सबसे बड़ा कारनामा

नई दिल्ली। आज हम आपको स्मोकी के बारे में बताएंगे जिसे दुनिया का सबसे छोटे वॉर सोल्जर का दर्जा प्राप्त है। स्मोकी, योरकी नस्ल का एक छोटा सा कुत्ता था जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में 250 सैनिकों की जान बचाई थी। स्मोकी आज भी पूरी दुनिया में वॉर सोल्जर के नाम से मशहूर है। 1.8 किलोग्राम की ये फीमेल डॉग अपनी बहादुरी के लिए जानी जाती है। अपने कामों से स्मोकी हर बार यह बात साबित करती थी कि छोटा होने से बहादुरी का कोई लेना देना नहीं है। सन 1944 में न्यू गिनी के जंगलों में भटकती स्मोकी का कोई मालिक नहीं था। मिलने के बाद कॉर्पोरल बिल नाम के एक सैनिक ने उसे दो ऑस्ट्रेलियन डॉलर में खरीदा था। बिल और स्मोकी की जोड़ी बहुत ही शानदार थी वे कभी एक दूसरे से अलग नहीं होते थे। द्वितीय विश्व युद्ध में जहां खाने-पीने की किल्लत हो रही थी वहीं बिल अपने हिस्से के खाने से स्मोकी को ज़िंदा रखे हुए थे। सैनिक के साथ रहते हुए स्मोकी को कुछ समय बीत चुका था, लेकिन अब तक उसे वॉर डॉग का दर्जा नहीं दिया गया था। सेना उसे दवाइयां भी नहीं मुहैया कराती थी और ना ही उसे एक वॉर डॉग की तरह खाना दिया जाता था।

हैरान कर देने वाली बात यह थी कि स्मोकी कभी बीमार नहीं पड़ी। जल्दी ही स्मोकी संयुक्त राष्ट्र के एयर फाॅर्स का हिस्सा बन गई। वह (5th Reconnaissance Squadron) का हिस्सा बनी। स्मोकी अपने सर्विस के दौरान 12 कॉम्बैट मिशन का हिस्सा रही। वह जापानियों के द्वारा की गई 150 बमबारी से बच निकली। इतना ही नहीं ओकिनावा में आए तूफान को भी उसने मात दे दिया। अपने कार्यकाल के दौरान स्मोकी को आठ बैटल मैडल से भी नवाज़ा गया। युद्ध के दौरान वह सैनिकों की मदद करती और युद्ध के बाद थके-हारे सैनिकों का मनोरंजन भी किया करती थी। वह युद्ध में घायल सैनिकों के लिए अलग-अलग करतब कर के दिखाती थी। कई बार स्मोकी ने अपने मालिक बिल की जान भी बचाई। बिल को स्मोकी से इतना लगाव हो गया था कि उसने उसे 'फॉक्सहोल की परी' के नाम से नवाज़ा।

अपने कार्यकाल के दौरान उसने 250 सैनिकों और 40 विमानों की रक्षा की। जनवरी 1945 को संचार केबल को तत्काल रूप से लुज़ोन एयरबेस पर पहुंचाना था। लुज़ोन तक जाने के लिए एक पाइप का इस्तेमाल किया गया था। सवाल यह था कि धूल और मिट्टी से भरी उस 8 इंच की पाइप से कैसे संचार केबल को पहुंचाया जाए। उस समय केवल स्मोकी ही थी जो इस मिशन को अंजाम दे सकती थी। इसके बाद सैनिकों ने स्मोकी के कॉलर को पतली सी रस्सी से बांधकर उसे केबल पहुंचाने का आदेश दिया। बिल का कहना था कि "स्मोकी को इस मिशन में भेजने पर उसका मन नहीं मान रहा था। "उसे भेजने के बाद मुझे डर था कि वह वापस आएगी भी की नहीं।" लेकिन स्मोकी ने चंद मिनटों में इस मिशन को अंजाम दे दिया।

साल 1944 में फिलीपींस में बसे लुज़ोन के उस अभियान में स्मोकी की भूमिका अहम रही। अभियान के पूरा होने पर स्मोकी की तारीफ में एक अधिकारी ने कहा "अगर बहादुर स्मोकी ने इस मिशन को पूरा नहीं किया होता तो आज बमबारी में हमारे कई सैनिक मारे जाते।" रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं "जो काम स्मोकी ने कुछ मिनटों में कर दिया उसे करने में सैनिकों को लगभग तीन दिन लग जाते।" बता दें कि विश्व युद्ध के बाद स्मोकी को एक अस्पताल में सर्विस डॉग के रूप में नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं स्मोकी ने हॉलीवुड में भी अपना नाम बनाया। एक बेहतर ज़िंदगी जीने और कई लोगों की जान बचाने के बाद सन 1957 में स्मोकी की मौत हो गई, लेकिन उसके जाने के बाद भी लोग उसे भुला नहीं पाए। स्मोकी की याद में उसकी संयुक्त राष्ट्र के क्लीवलैंड क्षेत्र में एक मूर्ति भी स्थापित की गई जो आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
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