इस परंपरा का पालन असम के बोगांइ जिले के सोलमारी गांव में किया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि माहवारी या पीरियड्स महिलाओं में होने वाली एक बहुत ही सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इसमें असामान्य कुछ भी नहीं है लेकिन कुछ समुदायों में इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं।
असम के सोलमारी में जब किसी लड़की को पहली बार पीरियड्स होते हैं तो वहां लोग इसका जश्न मनाते हैं। इस दिन लोग ऐसे नाचते-गाते हैं जैसे कि मानों गांव में किसी उत्सव का माहौल हो। इतना ही नहीं यहां लड़की के पहले पीरियड्स पर उसकी शादी केले के पेड़ से करा दी जाती है। यहां इस प्रकार की शादी को लोग तोलिनी शादी के नाम से जानते हैं। शादी के बाद लड़की को एक ऐसे कमरे में बंद कर दिया जाता है जहां सूरज की रोशनी भी न पहुंचती हो।
मान्यता के अनुसार लड़की को पका हुआ खाना नहीं दिया जाता है बल्कि इस दौरान वो दूध और फल खाकर अपना दिन गुजारती है। पांच दिनों तक उसे इस कमरे में जमीन पर सोना पड़ता है। यहां तक कि उसे किसी भी इंसान के चेहरे को देखने की इजाजत नहीं होती है।
अब इन मान्यताओं का पालन किसी समाज में क्यों किया जाता है इसका तो पता नहीं लेकिन स्थानीय लोग इसे कई सालों से मनाते आ रहे हैं और शायद आने वाले समय में भी वो ऐसा करते रहेंगे।