सदियों से चली आ रही ये प्रथा आज भी जारी है। मां गंगा की मूर्ति से पहले की ही तरह जल निकलता है। मान्यता है कि ये जल कभी भी किसी मौसम में सूखता नहीं है। ये देवी मां के चमत्कार को दर्शाता है। मंदिर के इस अद्भुत चमत्कार की कथा को सुन दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन को आते हैं और मूर्ति से निकलने वाले जल का सेवन करते हैं। भक्तों का दावा है कि ऐसा करने से उन्हें कई तरह के रोगों से छुटकारा मिलता है, साथ ही उनके कष्ट दूर होते हैं।
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस मंदिर की खोज अंग्रेजों ने की थी। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार सन् 1925 में अंग्रेज इस जगह पर रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। तभी खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के नीचे एक गुम्बद—सी चीज दिखाई दी थी। बाद में मिट्टी को खोदने पर उन्हें पूरा मंदिर नजर आया था। मंदिर में मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा भी है। मंदिर परिसर में दो नल भी बहुत चमत्कारिक है। बताया जाता है कि इससे भी हमेशा पानी निकलता रहता है। इसके लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। लोगों के मुताबिक मां गंगा भक्तों की प्यास बुझाने के लिए हैंडपंप से निरंतर बहती रहती हैं। जो भक्त इस जल का सेवन करता है उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है।