कई गांव हो चुके है खाली
एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान के भीतरी द्वीव में शिकोकू नाम का एक गांव है जहां ज्यादातर लोग जा चुकें हैं। इस गांव में इंसानों से ज्यादा गुड्डे-गुड्डीयां रहते है। ये गांव भी ऐसे कई गांवों में से एक है जिसे लोग किसी ना किसी कारण से खाली कर चुकें हैं। सुकीमी की उम्र 65 साल है। इस उम्र में भी वो गांव में बचे लोगों के मुकाबले काफी जवान हैं। उनका कहना है कि सालों पहले अपने पिता की देख-रेख करने के लिए वो ओसाका से गांव चली आई थी।
यह भी पढ़े :— इस रेगिस्तान में दफन है कई रहस्य: एलियन कनेक्शन, विशालकाय नीली आंख, सफेद मोटी बर्फ की चादर
एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान के भीतरी द्वीव में शिकोकू नाम का एक गांव है जहां ज्यादातर लोग जा चुकें हैं। इस गांव में इंसानों से ज्यादा गुड्डे-गुड्डीयां रहते है। ये गांव भी ऐसे कई गांवों में से एक है जिसे लोग किसी ना किसी कारण से खाली कर चुकें हैं। सुकीमी की उम्र 65 साल है। इस उम्र में भी वो गांव में बचे लोगों के मुकाबले काफी जवान हैं। उनका कहना है कि सालों पहले अपने पिता की देख-रेख करने के लिए वो ओसाका से गांव चली आई थी।
यह भी पढ़े :— इस रेगिस्तान में दफन है कई रहस्य: एलियन कनेक्शन, विशालकाय नीली आंख, सफेद मोटी बर्फ की चादर
इंसान से ज्यादा गुड्डे-गुड्डीयां
अब शिकोकू में केवल 35 लोग बचे हैं। वहीं सुकीमी अयानो नाम की महिला गांव छोड़ चुके अपने रिश्तेदारों और गांववालों के गुड्डे-गुड्डीयां बनाती रहती है। ये उन्हें सिलती है और किसी को अपना ताउ तो किसी को चाचा कहती है। सुकीमी को गांव के बच्चे भी याद हैं जो अब वहां नहीं रहते।
अब शिकोकू में केवल 35 लोग बचे हैं। वहीं सुकीमी अयानो नाम की महिला गांव छोड़ चुके अपने रिश्तेदारों और गांववालों के गुड्डे-गुड्डीयां बनाती रहती है। ये उन्हें सिलती है और किसी को अपना ताउ तो किसी को चाचा कहती है। सुकीमी को गांव के बच्चे भी याद हैं जो अब वहां नहीं रहते।
नया गांव करेगी तैयार
उनका कहना है कि सालों पहले अपने पिता की देखरेख करने के लिए वो ओसाका से गांव चली आई थी। पिता की मौत के बाद और धीरे-धीरे कम होती जनता के बीच उन्होंने तय किया कि वो यहां से नहीं जाएगी और एक नई तरह का गांव तैयार करेंगी। वो हर रोज अपना सारा काम निबटाकर किसी ना किसी गांव वाले को सीने बैठ जाती हैं।
उनका कहना है कि सालों पहले अपने पिता की देखरेख करने के लिए वो ओसाका से गांव चली आई थी। पिता की मौत के बाद और धीरे-धीरे कम होती जनता के बीच उन्होंने तय किया कि वो यहां से नहीं जाएगी और एक नई तरह का गांव तैयार करेंगी। वो हर रोज अपना सारा काम निबटाकर किसी ना किसी गांव वाले को सीने बैठ जाती हैं।