इस युवक का नाम विशाल पटेल है जो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं। विशाल ने देश के जवानों की सुरक्षा के चलते इस मशीन गन को तैयार किया है। विशाल का ऐसा कहना है कि सीजफायर के दौरान रात के अंधेरे में जब दुश्मन हमला बोलता है तो हमारे कई जवान घायल या शहीद हो जाते हैं। ऐसे में Intelligence Machine Gun के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है क्योंकि यह दुश्मन को पहचान कर ही फायर करेगी। यह गन अपने जवानों को कभी टारगेट नहीं करगी।
अब जाहिर सी बात है कि एक छात्र लाखों-करोड़ों खर्च नहीं कर पाएगा। ऐसे में विशाल ने इस गन को बनाने के लिए कबाड़ से कुछ सामानों इकट्ठा किया। इनमें डिश टीवी बॉक्स जैसी चीजें भी थी जिनका इस्तेमाल ट्रिगर बनाने के लिए किया गया। इस तरह से इस मशीन गन को बनाने में कुल 4 हजार रुपये का खर्च आया।
4 हजार रुपये से बनी इस मशीन में एक स्टील ड्रम का इस्तेमाल किया गया है जो सामने की ओर लगा हुआ है ताकि इससे बचाव हो सके। इसमें पेयर सेंसर भी है जिससे अगर मशीन के ठीक सामने कोई एक्टिविटी होती है तो गन में लगा हुआ सर्किट ऑन हो जाता है। इसमें आरएफ ट्रांसमीटर को भी फिट किया गया है। इसके अलावा भी ऐसी कई सारी चीजों का इस्तेमाल इसे बनाने के लिए किया गया है।
रिसर्च एंड डेवलेपमेंट के हेड श्याम चौरसिया ने इस मशीन गन के बारे में बात करते हुए कहा है कि यह एक फ्रीक्वेंसी बेस्ड मॉडल है। इसमें अगर सीसीटीवी लगा दिया जाए तो दुश्मनों की एक्टिविटी पर भी नजर रखी जा सकती है। उनका यह भी कहना है कि बच्चों के इस प्रयास को प्रोत्साहित करना चाहिए।