‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ की पुरानी और सबसे भयानक तकनीक मिस्त्र में इस्तेमाल की जाती थी। आधुनिक तकनीक और मशीनों के अभाव ने मिस्त्र में ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ का तरीका बेहद ही भयानक बना दिया था। ये बात जानकर आपके पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी कि पुराने समय में इस्तेमाल होने वाला ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ आज भी इस्तेमाल में लाया जाता है। मिस्त्र के अयिदाह कबीले के लोग अपराधियों का झूठ पकड़ने के लिए लोहे के सरिये को इतना गरम करते हैं कि वह लाल हो जाता है। तप के लाल हुए सरिये से अपराधी की जीभ को दाग दिया जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार जीभ को दागते ही, वहां फफोले पड़ जाते हैं। जिससे यह साबित हो जाता है कि वह दोषी है। बता दें कि मिस्त्र के अयिदाह कबीला के लोग इसे एक परंपरा मानते हैं, जिसे ‘बिशाह’ नाम से जाना जाता है।
हालांकि ‘लाई डिटेक्टर टेस्ट’ का ये तरीका ज़्यादातर कबीलों ने छोड़ दिया है। इस प्रक्रिया की सबसे अजीबो-गरीब बात ये है कि जीभ को दागने के यदि आरोपी की जीभ पर फफोले पड़ जाएं तो उसे दोषी मान लिया जाता है। तो वहीं दूसरी ओर जिसकी जीभ पर फफोले नहीं पड़ते, उन्हें निर्दोष करार दे दिया जाता है। कबीले की इस परंपरा को लेकर कहा जाता है कि ज़ुर्म करने वाला अपराधी जीभ दागने के डर से काफी घबरा जाता है। जिससे उसकी जीभ पूरी तरह से सूख जाती है, ऐसे में वहां गरम धातु लगाने से फफोले पड़ जाते हैं।