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प्लेन क्रैश में बची जान तो फंसा खतरनाक जंगल में, डेढ़ महीने तक खुद को ऐसे रखा जिंदा

locationनई दिल्लीPublished: Mar 09, 2021 04:33:59 pm

Submitted by:

Shaitan Prajapat

प्लेन क्रैश में पायलट की जान तो बच गई लेकिन वह खतरनाक जंगल में फंस गया।करीब डेढ़ तक वह पक्षियों के अंड़े खाकर खुद जिंदा रखा।
 

plane crashed

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नई दिल्ली। एक कहावत है ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ इसका अर्थ यह है कि जिस पर ईश्वर की कृपा दृष्टि होती हैं उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता हैं। यह कहावत कई बार आपने सुनी होगी। अक्सर देखा जाता है कि प्लेन क्रैश होने के बाद पायलट और यात्रियों की जान बचना बहुत मुश्किल होता है। जो खुशकिस्मत होता है, वहीं मौत को मात देकर जिंदा रहता है। इसी कड़ी में आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो मौत को हराकर जिंदा लोटा है। प्लेन क्रैश होने के बाद पायलट की जान तो बच गई लेकिन वह खतरनाक जंगल में फंस गया। इस भयानक जंगल में जिंदा रहने के लिए पायलट को कुछ भी खाने को नहींं मिला। इस दौरान पायल जंगल में पक्षियों के अंडे खा कर खुद को जिंदा रखा।


प्लेन में लग गई थी आग
एक रिपोर्ट के अनुसार, एक एंटोनियो नाम का पायलट 28 जनवरी को लापता हो गया था। एंटोनियो ने पुर्तगाल के एलेंकेर शहर से उड़ान भरी थी। वे एलमेरियम शहर जा रहे थे। लेकिन दरअसल, प्लेन में मैकेनिकल दिक्कत आने के कारण एमेजॉन के जंगलों में लैंडिंग कराने पड़ी। प्लेन में आग भी लग गई थी बड़ी मुश्किल से पायलट ने खुद की जान बचाई।

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पक्षियों के अंडें और जंगली फल खा रहा जिंदा
एंटोनियो प्लेन क्रैश में तो बच गए थे लेकिन एमेजॉन के सुनसान जंगलों में उनको कई प्रकार की परेशानियों को सामना करना पड़ा। उन्होंने अपना पहला हफ्ता तो प्लेन के पास ही बिताया था। वही एंटोनियो के लापता होने के बाद रेस्क्यू टीम एक्टिव हो गई थी। इस दौरान वे पक्षियों के अंडों और जंगली फलों के सहारे अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहे थे।

कई जंगली जानवरों को किया सामना
जंगल में 5 से 6 सप्ताह बिताने के बाद रेक्क्यू टीम उन तक पहुंची। इस दौरान 36 साल के इस पायलट का वजन भी काफी कम हो गया। पायलट ने हिम्मत दिखाते हुए एक महीने से ज्यादा तक कई जंगली जानवरों का सामना किया। इंटोनियो का कहना है कि यह मेरा दूसरा जन्म है। इस मुश्किल दौरे से बाहर आने में मेरे परिवार के प्यार का भी काफी सपोर्ट रहा है। भगवान को शुक्रगुजार हूं कि मैं अपने परिवार से मिल सका।

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