पुरुष करते हैं 3 महीने तक ताड़ी उतारने का काम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहां महिलाएं तीन महीने तक विधवा का जीवन बसर करती हैं, वहीं यहां के पुरुष इस दौरान ताड़ी उतारने का काम करते हैं। उसी कमाई से ही वे अपना घर चलाते हैं। यह काम काफी जोखिम भरा होता है, क्योंकि ताड़ी के पेड़ 50—50 फीट तक लंबे होते हैं। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति से चूक हो जाए तो उसकी जान भी चली जाती है।
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तरकुलहां देवी के मंदिर में मांगती हैं दुआएं
ताड़ी उतारने के मौसम में गछवाहा समुदाय की महिलाएं देवरिया से तीस किलोमीटर दूर गोरखपुर जिले में स्थित तरकुलहां देवी के मंदिर में अपने पति के सुहाग की निशानियों को रखकर सलामती की दुआएं मांगती हैं। मई से जुलाई तक 3 महीने में यहां की औरतें अपने घरों में उदासी का जीवन जीती हैं।
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नाग पंचमी को करती हैं पूजा
ताड़ी उतारने का काम खत्म होने के बाद गछवाह समुदाय की महिलाएं तरकुलहां देवी मंदिर में नाग पंचमी के दिन इकट्ठा होकर पूजा अर्चना करने के साथ सामूहिक गौठ का आयोजन करती हैं। हालांकि, अब यह समुदाय समय के साथ शिक्षित हो गया और अपने पुस्तैनी धंधे को छोड़कर नौकरी पेशे पर ध्यान देने लगा है।