scriptshocking : पति के होते हुए भी यहां की महिलाएं 3 महीने तक बिताती हैं विधवा का जीवन, वजह हैरान कर देगी | why did married women live a widow's life after her husband is alive? | Patrika News

shocking : पति के होते हुए भी यहां की महिलाएं 3 महीने तक बिताती हैं विधवा का जीवन, वजह हैरान कर देगी

locationनई दिल्लीPublished: Oct 27, 2020 12:46:13 pm

भारत के इस जिले में महिलाएं अपने पति के होते हुए भी 3 महीने तक जीती हैं विधवा की लाइफ। तरकुलहां देवी मंदिर में सुहाग की निशानी रखकर करती हैं पूजा। पुरुष 3 महीने तक मौत के मुंह में रहकर करते हैं ऐसा काम….

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भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए सबसे बड़ा सुख होता संतान प्राप्ति और दूसरा सुहागन रहना। लेकिन विविधताओं में एकता के प्रतीक भारत में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां महिलाएं सुहागन होते हुए भी 3 महीने तक विधवा का जीवन व्यतीत करती हैं। आप कुछ गलत सोच बैठे इससे पहले हम आपको बता दें कि यह सब एक अनूठी प्रथा के लिए चलते होता है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर समेत पड़ोसी राज्य बिहार के कुछ जिलों में गछवाहा समुदाय की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए मई से जुलाई तक 3 महीने के लिए विधवा का जीवन बसर कर सदियों पुरानी अनूठी प्रथा का पालन पूरी शिद्दत से करती हैं।

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पुरुष करते हैं 3 महीने तक ताड़ी उतारने का काम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहां महिलाएं तीन महीने तक विधवा का जीवन बसर करती हैं, वहीं यहां के पुरुष इस दौरान ताड़ी उतारने का काम करते हैं। उसी कमाई से ही वे अपना घर चलाते हैं। यह काम काफी जोखिम भरा होता है, क्योंकि ताड़ी के पेड़ 50—50 फीट तक लंबे होते हैं। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति से चूक हो जाए तो उसकी जान भी चली जाती है।

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तरकुलहां देवी के मंदिर में मांगती हैं दुआएं
ताड़ी उतारने के मौसम में गछवाहा समुदाय की महिलाएं देवरिया से तीस किलोमीटर दूर गोरखपुर जिले में स्थित तरकुलहां देवी के मंदिर में अपने पति के सुहाग की निशानियों को रखकर सलामती की दुआएं मांगती हैं। मई से जुलाई तक 3 महीने में यहां की औरतें अपने घरों में उदासी का जीवन जीती हैं।

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नाग पंचमी को करती हैं पूजा
ताड़ी उतारने का काम खत्म होने के बाद गछवाह समुदाय की महिलाएं तरकुलहां देवी मंदिर में नाग पंचमी के दिन इकट्ठा होकर पूजा अर्चना करने के साथ सामूहिक गौठ का आयोजन करती हैं। हालांकि, अब यह समुदाय समय के साथ शिक्षित हो गया और अपने पुस्तैनी धंधे को छोड़कर नौकरी पेशे पर ध्यान देने लगा है।

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