आखिर क्या है Franck Muller घड़ी में खास, जो दिल्ली एयरपोर्ट पर एक यात्री को किया गिरफ्तार
दिल्ली हवाईअड्डे के कस्टम अधिकारियों ने गुरुवार को शारजाह से भारत लौटे एक मुसाफिर को 15.83 लाख रुपये कीमत वाली फ्रैंक मुलर घड़ी के चलते गिरफ्तार कर लिया। आखिर क्या है इसमें खास, जानना बहुत जरूरी है।

नई दिल्ली। कस्टम अधिकारियों ने गुरुवार को दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से एक व्यक्ति को इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि उसने एक बेशकीमती घड़ी पहनी हुई थी। फ्रैंक मुलर ( Franck Muller ) नामक इस कंपनी की लाखों रुपये की इस घड़ी को बरामद किए जाने के बाद अधिकारियों ने उस व्यक्ति से पूछताछ भी की, जिसमें कई बातें सामने आईं। हालांकि ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर इस घड़ी में ऐसा क्या खास है और यह इतनी महंगी क्यों होती है।
सबसे पहले तो आपको बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट सीमा शुल्क विभाग ने गुरुवार को बताया कि शारजाह से आने वाले एक भारतीय यात्री को आज दिल्ली हवाई अड्डे पर रोका गया। वह यात्री शारजाह से फ्लाइट 6E8417 से उतरा था। उसके पास 15.83 लाख रुपये की फ्रैंक मुलर घड़ी थी। उस यात्री ने इससे पहले 18 लाख रुपये के मोबाइल फोन की तस्करी की बात भी मानी। इसे सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 104 के तहत गिरफ्तार किया गया।
अब आपको बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट कस्टम्स ने जिस फ्रैंक मुलर घड़ी (Franck Muller Vanguard Yatching) की तस्वीर जारी की है, उसका मॉडल नंबर V 45 CC DT YATCH (BL) है और भारत में इसकी कीमत 20 लाख 64 हजार रुपये है।
Delhi Airport Customs intercepted an Indian pax on 01/04/21 who arrived by Flight 6E8417 from Sharjah & recovered a Franck Muller Watch worth Rs 15.83 lakh. Pax admitted previous smuggling of mobile phones worth Rs 18 lakh & was arrested u/s 104 of Customs Act. pic.twitter.com/5rObHmpYEK
— Delhi Customs (@Delhicustoms) April 1, 2021
गोल्ड केस
इस घड़ी के केस का मैटेरियल पिंक गोल्ड से बना हुआ है और इसका साइज 44 मिलीमीटर है। ऑटोमैटिक मूवमेंट वाली इस घड़ी में डेट फंक्शन है और इसमें 42 घंटे का पावर रिजर्व है। इस घड़ी का ग्लास सैफायर क्रिस्टल का है जिसपर एंटी-रिफ्लेक्टिव ट्रीटमेंट किया गया है। नायलॉन स्ट्रैप के साथ आने वाली इस घड़ी पर दो साल की वारंटी मिलती है।
क्यों है इतनी खास
दरअसल, फ्रैंक मुलर एक स्विस लग्जरी घड़ी निर्माता है। इस कंपनी का नाम इसके संस्थापक के नाम पर रखा गया है। वर्ष 2010/2011 में कंपनी की अनुमानित कुल बिक्री 2502 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई थी और औसतन इसकी एक घड़ी की कीमत 32.80 लाख रुपये थी।
दिग्गजों की पसंद
दुनिया में फ्रैंक मुलर की घड़ियों को तमाम मशहूर हस्तियों द्वारा पहना जाता है। इनमें हॉलीवुड एक्टर और अमरीकी राजनेता अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर, मशहूर अंग्रेजी गायक एल्टन जॉन, फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो, किम कार्दशियन, कान्ये वेस्ट, डेविड बेकहम, कॉनर मैकग्रेगर, फ्लॉयड मेवेदर, पेरिस हिल्टन, इवा लोंगोरिया, क्रिस ब्राउन और जोस मोरिन्हो जैसे नाम शामिल हैं। अगर भारत की बात करें तो अक्टूबर 2019 में कंपनी ने रणवीर सिंह को अपना ब्रांड एंबैसडर बनाया था।
सालाना वर्ल्ड प्रीमियर
फ्रैंक मुलर को इसके 'वर्ल्ड प्रीमियर' के बारे में भी जाना जाता है। हर साल कंपनी घड़ी की एक श्रंखला जारी करती है, जिसमें कुछ ना कुछ स्पेशल और एक्सक्लूसिव होता है। इतना ही नहीं 'वर्ल्ड प्रीमियर' के दौरान पेश की जाने वाली सिरीज में कुछ ऐसा जरूर होता है, जिसे घड़ी बनाने के इतिहास में पहले कभी भी नहीं देखा गया।
कौन हैं फ्रैंक मुलर
फ्रैंक मुलर का जन्म 11 जुलाई 1958 को स्विट्जरलैंड में हुआ था। इनकी मां इतालवी और पिता स्विस थे। काफी कम उम्र से ही फ्रैंक की दिलचस्पी सभी मैकेनिकल डिवाइसेज में बढ़ती गई। घर में रखी मशीनों को खोलकर उनके दिल को देखने-समझने में फ्रैंक ज्यादा वक्त नहीं लगाते थे। किशोरावस्था के दौरान उन्होंने पुराने ज्योतिषीय उपकरणों को इकट्ठा करना शुरू किया जिसे वह कबाड़ी बाजार से खरीदते थे। इसके बाद फ्रैंक ने मैकेनिक्स और टाइम में ही खुद को डुबो दिया।
नौकरी नहीं खुद का काम
उन्होंने 1981 में प्रसिद्ध जिनेवा स्कूल ऑफ वॉच में प्रवेश लिया और 4 साल की शानदार पढ़ाई के बाद उन्हें सबसे ज्यादा नंबर और पुरस्कार मिले। उन्होंने अपने दिमाग और खुद की आजादी के लिए सबसे कठिन रास्ता चुना और किसी बड़े ब्रांड या घड़ी बनाने वाले ग्रुप में जाने के बजाय अपनी वर्कशॉप खोली। उनकी प्रतिष्ठा बनने में बहुत समय नहीं लगा। अनोखी तकनीकी प्रतिभा के धनी फ्रैंक के पास नीलामी घरों से लेकर दुनिया भर के वॉच कलेक्टर्स द्वारा ठीक करने के लिए घड़ियां भेजी जाने लगीं।
रिसर्च काम आई
कुछ सालों के काम के बाद फ्रैंक ने अपने नाम से ही यूनीक टाइमपीस का निर्माण शुरू कर दिया। अपनी पढ़ाई के दौरान और घड़ी ठीक करने वाले के रूप में पहले वर्षों में, फ्रैंक मुलर ने हॉरोलॉजी (घड़ी विज्ञान) की दुनिया के बारे में एक निष्कर्ष निकाला था कि 19वीं शताब्दी के बाद से कुछ तकनीकी आविष्कारों को विकसित किया गया और कलाई घड़ी में इस्तेमाल किया गया।
1983 में पहली घड़ी
इस हालात को बदलने की इच्छा के साथ उन्होंने अपने काम को यूनीक टाइमपीस (विशेषरूप से कलाई घड़ी) के लिए समर्पित करने का फैसला किया। और 1983 में महीनों की रिसर्च और माइक्रो-मैकेनिकल टेस्ट्स के बाद, फ्रैंक मुलर को अपनी पहली कलाई घड़ी पेश करने पर गर्व हुआ। उन्होंने एक ऐसी कॉम्प्लिकेटेड मूवमेंट्स वाली घड़ी पेश की, जिसे जमकर सराहा गया।
वर्ल्ड प्रीमियर में दिखती है प्रतिभा
इसके बाद फ्रैंक 1986 से हर साल, प्रतिष्ठित जटिलताओं के आधार पर अपने वर्ल्ड प्रीमियर पेश कर रहे हैं। ये घड़ियां दुनिया भर में कलेक्टरों के लिए नायाब तकनीकी चीजें हैं और इन्हें पहले से ही फाइन वॉचमेकिंग के इतिहास में मील के पत्थर के रूप में माना जाता है। वर्ष 1992 में फ्रैंक मुलर ने अपनी कंपनी की स्थापना की और उसी वर्ष, दुनिया में सबसे जटिल कलाई घड़ी बनाई।
क्यों है खास
सबसे जरूरी बात कि फ्रैंक मुलर ब्रांड एक ऐसी घड़ियों के बारे में है जो इसकी डिजाइन, जटिलता, निराले अंदाज, खूबसूरत पेशकश, अद्भुत कारीगरी, ओरिजनलिटी, क्लास को लेकर पहचानी जाती हैं और इसे पहनने वाले वक्त की तो कद्र करते ही हैं, उनका वक्त भी इतना बेहतर होता है कि वो उसे अपनी मुट्ठी में लेकर चलें।
@RanveerOfficial at Franck Muller Watchland.😍😍#inLOVEwithSWITZERLAND @MySwitzerlandIN pic.twitter.com/aBFb6K0xAI
— Ranveersinghlover (@RSinghLover) May 1, 2018
ranveer singh for franck muller, october 2019 pic.twitter.com/D4Vt9vNmFS
— best dressed bollywood (@bollylooks) August 7, 2020
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