पहले बात करते हैं धार्मिक कारण की तो इसके अनुसार, जब भी हम अन्न खाते हैं तो इससे हमारा पेट पूरी तरह से भर जाता है और इससे शरीर को आराम पहुंचता है और इंसान को संतुष्टि मिलती है। व्रत एक तरह का संकल्प है। इसमें हम अपनी इच्छाओं का त्याग कर ईश्वर को प्रसन्न करते हैं। खाने-पीने की इन सारी चीजों से मन को हटाकर पूजा में केन्द्रित करने की वजह से ही ऐसा किया जाता है। इसीलिए इस दिन फल-मिठाई का सेवन करते हैं।
अन्न में ऐसे कई तत्व होते हैं जो शरीर में आलस लाते हैं या जिससे वासना उत्पन्न होती है। अब जब नींद या वासना हमें घेर लेगी तो हम अपना ध्यान भगवान पर केन्द्रित नहीं कर पाएंगे। शायद इसीलिए उपवास करने की परंपरा की शुरूआत की गई।
विज्ञान कहता है कि डायजेस्टिव सिस्टम को आराम पहुंचाने के लिए सप्ताह में एक दिन खाना नहीं खाना चाहिए। इससे शरीर के सारे टॉक्सिन्स बाहर निकल आते हैं और हम स्वस्थ रहते हैं। चूंकि व्रत में या तो हम नहीं खाते हैं या एक टाइम खाते हैं या हल्का भोजन करते हैं तो इससे कब्ज, गैस, अजीर्ण, सिरदर्द जैसी कई बीमारियां दूर होती है।
यानि कि इस दिन बॉडी को रेस्ट मिलता है। इसीलिए कभी-कभार व्रत बॉडी को लाभ पहुंचता है, लेकिन इसकी अधिकता कमजोरी ला सकती है जिससे आगे चलकर हमें खतरा हो सकता है।