मंदिर में यह सब भी करने की है मनाही- – मान्यता है कि, नवजात बच्ची तक को गोद में लेकर मंदिर में प्रवेश नहीं किया जा सकता।
– इतना ही नहीं यहां कि औरतों को सख्त हिदायत है कि वे मंदिर के अंदर भी न देखें।
– स्थानीय लोगों के अनुसार औरतें केवल मंदिर के बाहर से ही ईश्वर का आशीर्वाद ले सकती हैं।
– इतना ही नहीं यहां कि औरतों को सख्त हिदायत है कि वे मंदिर के अंदर भी न देखें।
– स्थानीय लोगों के अनुसार औरतें केवल मंदिर के बाहर से ही ईश्वर का आशीर्वाद ले सकती हैं।
ये है मान्यता? स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर को 5वीं सदी ईसापूर्व में बनाया गया था। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि आगर कोई औरत मंदिर के अंदर जाती है तो उसे भगवान कार्तिकेय का श्राप मिलता है। बताया जाता है, ”जब भगवान कार्तिकेय ध्यान कर रहे थे तो देवी इंद्रा को उनसे इस बात की जलन होने लगी कि ब्रह्मा कहीं उन्हें उनसे अधिक शक्तियां न प्रदान कर दें। इसलिए उन्होंने कार्तिकेय का ध्यान भंग करने के लिए उनके पास सुंदर अप्सराएं भेंजी। जिससे भगवान कार्तिकेय नाराज हो गए एवं उन्होंने श्राप दे दिया कि यदि कोई औरत उनके पास उनका ध्यान भंग करने के लिए कभी भी आती है तो वह हमेशा के लिए पत्थर की बन जाएगी।” बस तब से ही इस प्रथा का पालन किया जा रहा है और औरतें भी अपना सुहाग उजड़ने के दर से इस मंदिर में जाने से कतराती हैं।