अजब गजब

आज भी पुरूषों को देखकर इन महिलाओं को करना पड़ता है ऐसा काम, जो महिला सशक्तिकरण पर फेर रहा पानी

आज के जमाने में भी महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। परिवार के लिए अपना सबकुछ विसर्जित कर देने के बावजूद इनकी स्थिति काफी दयनीय है।

May 20, 2018 / 11:12 am

Arijita Sen

आज भी पुरूषों को देखकर इन महिलाओं को करना पड़ता है ऐसा काम, जो महिला सशक्तिकरण पर फेर रहा पानी

आज जमाना डिजिटल का है। दुनिया हर क्षेत्र में प्रगति कर रही है। रूढ़िवादी विचारों से जकड़े समाज ने अपने पुराने बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। न केवल पुरूष बल्कि महिलाएं भी आज हर क्षेत्र में अपना हाथ आजमा रही हैं और उन्हें अपने हर कदम पर सफलता भी मिल रही हैं।

पुरूषों से कंधा मिलाकर चलने में महिलाएं आज किसी कम नहीं हैं। लेकिन आज भी हमारे देश में कई सारी ऐसी जगहें है जहां महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है। भले ही हम महिला सशक्तिकरण की बात कितना भी क्यों न कर लें लेकिन महिलाओं के प्रति हो रहा इस प्रकार का बर्ताव सब पर पानी फेरता नजर आ रहा है।

हम यहां मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में स्थित आमेठ गांव के बारे में बात कर रहे हैं। बता दें इस गांव में महिलाएं मर्दो के सामने अपने पैरों पर चप्पल नहीं पहनती है। अगर वो अपने सामने से किसी पुरूष को आते हुई देखती है तो पैरों से चप्पल निकालकर अपने हाथ में ले लेती है। आमेठ गांव की आबादी 1200 है जिनमें से 500 महिलाएं है।

मध्य प्रदेश के इस गांव में पानी की समस्या अपने चरम पर है। घरों में पानी का इंतजाम करने की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है। रोज अपने परिवार के सदस्यों के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए यहां की महिलाएं सूर्योदय से पहले पानी के बर्तन लेकर गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित झरने की तरफ जाती है।

Ameth woman

गांव की महिलाएं प्रतिदिन करीब 7-8 घंटे का वक्त पानी का इंतमाम करने में ही लगा देती है। अपने परिवार के लिए इतना करने के बावजूद उन्हें समाज में वो दर्जा नहीं मिल सका है जिसकी वो हकदार है। सुबह चार बजे उठकर पथरीली सड़कों पर चलकर ये महिलाएं पानी भरने जाती है। गांव से बाहर जाते वक्त यदि किसी पुरूष ने उन्हें देख लिया तो वो तुरंत अपने पैर से चप्पल निकालकर हाथ में ले लेती है।

Ameth Women

इसके साथ ही आपको एक और बात बता दें कि आमेठ गांव के लोग काफी मेहनती व कर्मठ है। इसका पता हमें इस बात से चलता है कि यहां आदिवासी समाज के पुरूषों और भिलाला जाति के किसानों ने मिलकर आमेठ सहित पिपराना, झरन्या, बाड़ी, चिलवानी इत्यादि आस-पास के इलाकों में कंकड़-पत्थर से भरी मिट्टी को उपजाऊ और खेती योग्य बनाया है। यहां इन लोगों की ये बात वाकई में काबिले तारीफ है लेकिन इसके बावजूद अगर वो अपनी औरतों को ही मान-मर्यादा का हक न दे पाए तो ये वाकई में काफी दुखद है।

Home / Ajab Gajab / आज भी पुरूषों को देखकर इन महिलाओं को करना पड़ता है ऐसा काम, जो महिला सशक्तिकरण पर फेर रहा पानी

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.