गोलियथ प्रजाति का मेंढक एक अजूबा है। ये पहली बार नहीं है कि गोलियथ को देखा गया है, ये अनोखी प्रजाति फिर से सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि इसपर शोध किया गया है। बर्लिन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम द्वारा किए गए शोध में इन मेंढकों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। शोध में पता चला है कि ये खास प्रजाति रहने के लिए खुद ही छोटा सा तालाब बनाते हैं। शोध में ये बात सामने आई है कि तालाब का निर्माण करते समय ये मेंढक दो-दो किलो का वजनी पत्थर भी हटा लेने में सक्षम है। इन मेंढकों का वजन 3.3 किलो तक और लंबाई 34 सेंटीमीटर यानी 13 इंच तक होती है। अपने बच्चों को बचाने के लिए ये तालाब में झाग बना देते हैं ताकि कोई जानवर बच्चों को नुकसान न पहुंचा सकें।
गोलियथ प्रजाति का मेंढक एक अजूबा है। ये पहली बार नहीं है कि गोलियथ को देखा गया है, ये अनोखी प्रजाति फिर से सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि इसपर शोध किया गया है। बर्लिन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम द्वारा किए गए शोध में इन मेंढकों के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। शोध में पता चला है कि ये खास प्रजाति रहने के लिए खुद ही छोटा सा तालाब बनाते हैं। शोध में ये बात सामने आई है कि तालाब का निर्माण करते समय ये मेंढक दो-दो किलो का वजनी पत्थर भी हटा लेने में सक्षम है। इन मेंढकों का वजन 3.3 किलो तक और लंबाई 34 सेंटीमीटर यानी 13 इंच तक होती है। अपने बच्चों को बचाने के लिए ये तालाब में झाग बना देते हैं ताकि कोई जानवर बच्चों को नुकसान न पहुंचा सकें।