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गजल

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Deovrat Singh

Aug 07, 2021

gazal

गजल

खौफ हवाओं में फेले जहर का रहता हैं!!

ऐसा मशवरा मेरे शहर का रहता है!!

ऐसा सबक अगले पहर का रहता है!!

फिर हमपे साया भी मेहर का रहता है!!

आजकल तो साथ भी कहर का रहता है!!

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