Hindi Poetry: कुछ पल
Published: Sep 04, 2021 10:28:31 pm
कुछ पल
कुछ पल
रेणुका अमित शर्मा समय के कुछ पल फिसल दामन में आए ऐसे
छीनकर सुकूं रुक गए हों वो पल जैसे
उलझी उन पलों में ये जिन्दगी
छोर ढूंढ सुलझाऊं इसको कैसे
बूंद-बूंद रिसता, खत्म होता मेरा जीवन
इन फिसलते सपनों/ जिन्दगी को समेटूं कैसे
विश्वास रख अपने आप पर
बढ़ चली फिर लडऩे इन पलों के तूफानों से
थक नहीं सकती, मैं हार नहीं सकती
मुश्किल बड़ी और अपने को छोटी समझ लूं मैं कैसे?