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Hindi Poetry: कुछ पल

कुछ पल

Sep 04, 2021 / 10:28 pm

Deovrat Singh

कुछ पल
रेणुका अमित शर्मा
समय के कुछ पल फिसल दामन में आए ऐसे
छीनकर सुकूं रुक गए हों वो पल जैसे
उलझी उन पलों में ये जिन्दगी
छोर ढूंढ सुलझाऊं इसको कैसे
बूंद-बूंद रिसता, खत्म होता मेरा जीवन
इन फिसलते सपनों/ जिन्दगी को समेटूं कैसे
विश्वास रख अपने आप पर
बढ़ चली फिर लडऩे इन पलों के तूफानों से
थक नहीं सकती, मैं हार नहीं सकती
मुश्किल बड़ी और अपने को छोटी समझ लूं मैं कैसे?
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