डिप्रेशन जितना पुरुषों में देखने को मिल रहा है, उतना ही महिलाओं में भी लेकिन इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि भारत जैसे देशों में ज्यादातर महिलाएं अपनी समस्या के बारे में बात नहीं करती हैं और करती भी हैं तो उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। गंभीर लक्षणों को मूड का नाम देकर नजरअंदाज कर दिया जाता है जिससे वे हताश महसूस करने लगती हैं।
फिटनेस पर ध्यान दें एक्सरसाइज से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन की मात्रा बढ़ती है, जो आपको खुश रहने में मदद करता है। डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों में इसके दूरगामी प्रभाव देखे जाते हैं। नियमित व्यायाम दिमाग को सकारात्मक रहने के लिए प्रेरित करता है। स्कॉटलैंड की स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी में हुआ एक शोध भी इसकी बात की पुष्टि करता है कि टहलना अवसाद दूर करता है।
अच्छा खाना, पूरी नींद डिप्रेशन को ठीक कर सके ऐसे कोई डाइट नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों का मत है कि ओमेगा 3 फैटी एसिड और फॉलिक एसिड युक्त भोजन डिप्रेशन को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। वहीं डिप्रेशन अनिद्रा को भी जन्म देता है। कोशिश करें कि नींद पूरी हो। इसके लिए नियमित समय पर सोएं और जागें और सोते समय टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल आदि को बंद कर दें।
दिशा दें जीवन को डिप्रेशन आपके जीवन को दिशाहीन बना सकता है। इसे फिर से ट्रैक पर लाने के लिए एक रूटीन बनाएं। इसकी शुरुआत सुबह जल्दी उठकर मॉर्निंग वॉक या जॉगिंग से करें। इस दौरान खाली दिमाग और खुली आंखों से प्रकृति की खूबसूरती को निहारें। ताजी हवा और गुनगुनी धूप का आनंद लें। इससे आपका पूरा दिन पॉजिटिविटी से भर जाएगा।
व्यस्त हो जीवनशैली रोजाना की जिम्मेदारियों में व्यस्त रहना अवसाद को दूर रखने में मदद करता है। रोज का एक लक्ष्य जरूर बनाएं। छोटी शुरुआत भी काफी है। लक्ष्य ऐसे हों, जिन्हें आसानी से हासिल कर सकें जैसे घर का कोई काम करना, अपनी हॉबी के लिए समय निकालना या कुछ नया सीखना। नया सीखने या खुद को चैलेंज देने से मस्तिष्क में डोपामाइन पैदा होता है।
नकारात्मकता को ना अ पने सोचने के तरीके को बदलिए। अवसाद आपको सबसे बुरे निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए मजबूर कर देता है। ज्यादा सोचना बंद कर दीजिए और लॉजिक को डिप्रेशन के प्राकृतिक इलाज के तौर पर इस्तेमाल कीजिए। मसलन अगर आपको लगे कि कोई भी आपको पसंद नहीं करता है तो यह जानने की कोशिश कीजिए कि आपके पास इसका कोई प्रमाण है क्या? अंतत: नकारात्मकता भाग जाएगी।