डिनर पूरे परिवार के साथ खाने के महत्व को कभी नजरअंदाज न करें। चाहे कितना भी काम हो, शाम को परिवार के साथ मिलकर खाना खाएं। खाने के दौरान माहौल खुशनुमा हो, इस बात का भी ख्याल रखें। एक-दूसरे से बातचीत करें, इससे आपके बीच विश्वास और रिश्ता मजबूत होगा। बदलाव के लिए कभी कभार लिविंग रूम में ही पिकनिक मनाएं या रेस्टोरेंट जैसा माहौल बनाएं और आप शेफ बन जाएं।
वर्क-लाइफ बैलेंस की न हो चिंता घर और दफ्तर के बीच संतुलन कायम करने के लिए ज्यादा जद्दोजहद न करें। इससे तनाव ही हाथ आएगा। काम अगर बहुत अच्छा चल रहा है तो घरेलू जिंदगी में परेशानियां हो सकती हैं या परिस्थिति ठीक इसके उलट हो सकती है लेकिन याद रखें कि ये स्थायी नहीं होंगी। घर हो या दफ्तर, बस अपना 100 फीसदी दें।
सख्त न हों अपने साथ ज्यादा सख्ती न बरतें। जीवन में छोटे-बड़े कई तरह के फैसले करने होते हैं। इनमें कुछ सही होते हैं तो कुछ गलत भी हो सकते हैं। आप इन्हें अपनी जानकारी के अनुसार सोच-समझ कर लेती हैं। गलती हो तो उससे सबक लेकर आगे बढ़ें। इस प्रक्रिया में आप जैसी है वैसी रहें, सहज और सरल। काम पर भी आपका बर्ताव वैसा ही रखें, जैसा घर पर होता है।
काम के प्रति हो सम्मान काम की परवाह आपका स्वभाव में होनी चाहिए। अपने बच्चों को भी सिखाएं कि काम आपकी फैमिली और आपके भविष्य के लिए जरूरी है और इसी से जीवन की संपूर्णता है। बच्चों को कभी यह न कहें कि आपको काम पर जाना पड़ रहा है, बल्कि यह कहें कि आप काम पर जा रही हैं। फर्क दोनों बातों में छोटा सा है लेकिन प्रभाव गहरा छोड़ता है।