नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार भागमभाग भरी नियमित दिनचर्या की वजह से लगभग 40 फीसदी महिलाएं मोटापे, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, पीठ दर्द, सिर दर्द और तनाव की गिरफ्त में हैं। जहां गृहिणियां हर जिम्मेदारी निभाने के बाद भी परिवार में अकेली पडऩे के चलते समस्याओं का शिकार हो रही हैं, वहीं आज की कामकाजी महिलाओं को मल्टीटास्किंग के चलते कई मानसिक और शारीरिक तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
रुचि की ओर लौटाने वाली छुट्टियां किसी खास रुचि से जुड़े होना हमें वैचारिक रूप से भी सक्रिय रखता है। यूं भी हर इंसान में कोई ना कोई प्रतिभा जरूर होती है, जिसे निखारने के लिए समय देना जरूरी है। अक्सर देखने में आता है कि महिलाएं हर जवाबदेही को पूरा करते हुए अपनी पसंद-नापसंद भूल ही जाती हैं। इसलिए जो भी आपकी रुचि हो, उसे विकसित करें। फुरसत का यह समय अपनी रुचि को दें। अपनी पसंद की चीजों को गहराई से समझकर उनमें दक्षता लाएं। याद रखिए, रचनात्मक सोच से जुड़ा सबसे सुखद पहलू यह है कि इसके लिए आपको कोई विशेषज्ञ होने या बनने की जरूरत नहीं है।
नकारात्मकता से दूरी वाली छुट्टियां यह एक हकीकत है कि महिलाओं की बहुत सी ऊर्जा और खाली समय व्यर्थ की बातों में जाया हो जाते हैं। देखने में आता है कि घर में फुरसत के पलों में कुछ सार्थक ना करने वाली महिलाएं कई तरह की नकारात्मक और व्यवहारगत समस्याओं से भी घिर जाती हैं क्योंकि महिलाएं सामाजिक स्तर पर परिवार और आस-पड़ोस से काफी जुड़ी रहती है। ऐसे में अगर यह जुडा़व सकारात्मक और रचनात्मक नहीं है तो दिमाग कई तरह की नकारात्मक बातों में उलझ कर रह जाता है। इसीलिए अपना सामाजिक वातावरण ही ऐसा बनाएं, जिसमें ना केवल आपको, बल्कि आपसे जुड़े लोगों को भी पॉजिटिव एनर्जी मिले। ऐसा करने के लिए खाली समय को कुछ सकारात्मक करने में लगाया जाना जरूरी है।
मन का करने वाली छुट्टियां रोजमर्रा की जिम्मेदारियों की जद्दोजहद में बहुत कुछ छूट जाता है। महिलाओं के लिए इस भागमभाग में आम जिंदगी से जुड़ी जानकारियों का खजाना भी खाली हो जाता है। मन के हर कोने से रीत जाता है कुछ नया जानने-सीखने का रोमांच। इसीलिए जब छुट्टियों में अवकाश के पल हिस्से आएं तो उनमें मन का कुछ करने की सोचें। अच्छे वीडियो देखें, कुछ पसंदीदा किताबें पढ़ें, किसी विशेष क्षेत्र में रुचि हो तो उससे जुड़ी जानकारी ऑनलाइन भी पढ़ें। इससे आप कई ऐसी नई बातों को जान पाएंगी, जिन पर घर और दफ्तर की संभाल के चलते आमतौर पर गौर ही नहीं किया जाता। ऐसी जानकारियां आपको जीवन में आने वाली किसी भी स्थिति को ढंग से संभालने में भी मददगार साबित होंगी। अपने मन के मुताबिक किए गए ऐसे कामों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। कामकाजी हों या गृहिणी, महिलाओं को भी परिवेश में हो रही गतिविधियों से जुड़े रहना जरूरी है। फुरसत का यह समय कुछ सार्थक जानने में लगाएं।
सेहत वाली छुट्टियां हर दिन की भागमभाग में सबसे ज्यादा सेहत की ही अनदेखी होती है। इसीलिए यह समय अपने स्वास्थ्य की देखभाल में लगाएं। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी तकलीफ की लंबे समय से अनदेखी कर रही हैं तो अब समय निकालकर डॉक्टर के पास जाएं। सुबह-शाम की वॉक या योग को समय दें। मानसिक और शारीरिक रूप से एक्टिव रहते हुए जो समय मिलता है, उसे अपनी सेहत की संभाल में भी लगाएं। ऐसी सक्रियता मानसिक समस्याओं से बचने का भी माध्यम बनती है।
सबके साथ वाली छुट्टियां महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर काम करने वाली संस्था से जुड़ीं ‘पेरेंटिंग एंड द प्रेजेंट मोमेंट’ की लेखिका कार्ला नॉम्बर्ग के मुताबिक, आमतौर पर पेरेंट्स बच्चों की छुट्टियां भी तनाव, थकान और एक शिकायत भरे माहौल में ही बिता देते हैं। इन दिनों अपने आप को और अपनों को समय देने के लिए साल भर वाले टाइम टेबल की छुट्टी कर दें। फुरसत के इन खास पलों में अपने से जुड़े सभी रिश्तों को रीवाइव करने की ठानें। आप अपनों से कितना मिलती हैं, जुड़ाव रखती हैं, यह भी जिंदगी के स्तरीय हाल को बताता है। इसीलिए अपने रिश्तों की सार-संभाल भी इन पलों के बेहतर इस्तेमाल का जरिया हो सकती है।
जीएं फुरसत के पलों को कोई अपराधबोध ना पालें अपने भीतर। जरूरी हो तो अपनों की मदद तुरंत मांग लें। नया सीखने में आपको बिल्कुल नहीं झिझकना है। अपने आप को प्राथमिकता दें इन छुट्टियों में।