क्या आप अपने डर को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं? क्या आप इस बात का खुलासा करने के लिए तैयार हैं कि आप को किन चीजों से डर लगता है। यह न केवल आपको खुद स्वीकार करना होगा, बल्कि अपने किसी विश्वसनीय दोस्त, सहकर्मी या फैमिली मेंबर को भी बताना होगा। ऐसा करके आप खुद के साथ ईमानदारी बरतेंगी और सच्चा बदलाव करने में कामयाब होंगी।
क्या प्रभावशाली बदलाव के लिए तैयार हैं? जी हां, बदलाव डराने वाला हो सकता है। फिर वह आपके सोशल स्टेटस, वैवाहिक स्टेटस या कॅरियर में ही क्यों न हो। अगर आप खुश नहीं है तो आप को बदलाव करने ही होंगे। इसकी शुरुआत आप छोटे—छोटे बदलाव से कर सकती हैं, जैसे अपने टीनेजर बच्चे के साथ अपने व्यवहार को बदल कर हो सकता है। इन बदलावों के दौरान आपको अपने दोस्त से दूर होना पड़ सकता है। आपको एक छोटे घर में शिफ्ट होना पड़ सकता है। फैमिली में किसी ऐसे मेंबर से रिश्ता तोडऩा पड़ सकता है, जिसे कोई बुरी लत हो। याद रखें, जब आप एक ही तरीके से किसी चीज को करती रहेंगी तो आपको अलग रिजल्ट कभी नहीं मिलेंगे।
क्या आप खुद को वरीयता देने के लिए तैयार हैं? खुद के बारे में सोचना स्वार्थी होना नहीं, बल्कि खुद का संरक्षण करना है। महिला होने के नाते हम अक्सर घर-परिवार की देखभाल में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपने सपनों की बलि चढ़ा देती हैं। किसी दोस्त के साथ लंच पर जाना या एक एक्सरसाइज क्लास लेना वरीयता नहीं है। यह इससे भी कहीं ज्यादा है। अपने भूले बिसरे सपनों को फिर से जगाना और जीवन अपनी शर्तों पर जीना। खुद को वरीयता दें। भले ही आपको अपनी जिंदगी में बड़े बदलाव ही क्यों न करने पड़ें।
क्या आप मदद मांगने के लिए तैयार हैं? हम अपनी समस्याओं का बोझ दूसरों पर नहीं डालना चाहते। हमें यह बताने में शर्म आती है कि हम संघर्ष कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानती हैं कि इस तरह से आप डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं। याद रखिए कि आप अपनी पसंद की जिंदगी भी जी सकती हैं और उससे भी जरूरी यह है कि आप इसकी हकदार हैं। हम अक्सर सोचते हैं कि संघर्ष हमें ही करना पड़ रहा है, लेकिन जब आप और लोगों से बात करेंगी तो आपको महसूस होगा कि कई महिलाएं आप ही की तरह सोचती हैं।
क्या आप खुद में निवेश करने के लिए तैयार हैं? आपको केवल शारीरिक ही नहीं, भावनात्मक और वित्तीय निवेश भी करने होंगे। बच्चों के पालन-पोषण में कई बार हम अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं। अपनी मां होने की जिम्मेदारियों को निभाते हुए हम अपने वर्कआउट शेड्यूल्स को भुला देती है। अफोर्ड न कर पाने पर भी अपने बच्चों को समर कैंप और क्लासेस में भेजती हैं, क्योंकि हम उन्हें न नहीं कह सकतीं। हम अपने पार्टनर को अपने साथ बुरा व्यवहार करने और इग्नोर करने का मौका देती हैं और यह भूल जाती हैं कि हम उससे कहीं ज्यादा डिजर्व करती हैं। याद रखिए, आपका खुश और सेहतमंद रहना जरूरी है और अगर इसके लिए आपको स्थितियां बदलनी पड़े तो भी झिझकें नहीं।