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कानून का दुरूपयोग रोकना होगा

आज भारत जिस रफ़्तार से नारी सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है ठीक उसी तरह इसका दुरूपयोग भी बढ़ता जा रहा है।

Jun 21, 2018 / 10:02 am

जमील खान

Law

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आज भारत जिस रफ़्तार से नारी सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है ठीक उसी तरह इसका दुरूपयोग भी बढ़ता जा रहा है। आखिर क्या कारण है कि दहेज़ प्रताड़ना और बलात्कार संबंधी मामलों को सुलझाने में न्यायालय को 5 से लेकर 10 वर्ष तक का समय लग जाता है? सबका कारण एक ही है, हत्याओं तथा आत्महत्याओं के मामले में दहेज़ प्रताड़ना के झूठे केसों की बढ़ती संख्या तथा प्रेमी युगलों द्वारा की गयी बेवकूफियों को बलात्कार का रूप देना।जहाँ एक ओर अबला नारी पर हुई घरेलू हिंसा के मामले सालों तक न्यायालय में रखी फाइलों में सड़ते रहते है वही दूसरी ओर दहेज़ प्रताड़ना के झूठे केसों की दर्ज संख्या बढ़ती जाती है।
जहां एक ओर अंगारों से दागी हुई महिला न्यायालय में इन्साफ की भीख मांगती रह जाती है वहीं दूसरी ओर एक निर्दोष पिता अपने बच्चों और परिवार को छोड़ सलाखों के पीछे पहुँच जाता है।यही हालात बलात्कार संबंधी मामलों के भी है।भारत में हर साल दर्ज ३४००० दुष्कर्म के केसों में जितने सैंकड़ों केस झूठे होते है या प्रेमी युगलों की गलतियों के परिणाम होते है उतने ही सैंकड़ों केस समाज में बदनामी के डर से दबे रह जाते है और निर्दोष लड़कियो के साथ हुई दरिंदगी का न्याय उन्हें नही मिल पाता है।पश्चिमी सभ्यता की ओर तेजी से बढ़ते कदम युवावस्था में कई बेवकूफियां करवा देते है और परिणाम स्वरुप भारत की सभ्यता पर एक कलंक का दाग छोड़ जाते है।
भारत में प्रतिदिन १५ बलात्कार होते है और सालाना यह संख्या हज़ारो की होती है। लेकिन इन मामलो के दो पहलु होते है। एक पहलु जो ३ माह की बच्ची के बलात्कार से शुरू होता है और सामूहिक दुष्कर्म और हत्या पर ख़त्म होता है।इस पहलू में वे सभी मामले आते है जो वास्तव में बलात्कार के होते है और दूसरा पहलू वो होता है जिसमे नादान परिदों की करतूतो को बलात्कार का नाम दे दिया जाता है।
इस पहलू को समझने के लिए एक घटना पर प्रकाश डालना जरुरी है।घटना फ़रवरी २०१८ की है जिसमे इटारसी थाना क्षेत्र के गांव की नाबालिग लड़की अपने २५ वर्षीय प्रेमी के साथ भाग कर बैतूल आ गयी। कई दिनों बाद ढूंढने पर पुलिस ने लड़की और उसके प्रेमी को बैतूल से बरामद किया।इसके बाद परिणाम यह रहा कि लड़की बलात्कार पीड़िता बन गयी और लड़का बलत्कार का आरोपी बन गया और जेल भेज दिया गया और अखबार में खबर छपी कि शादी का झांसा देकर किया दुष्कर्म।
हमारे देश की न्याय व्यवस्था पर यह सबसे बड़ा कलंक है कि जानते बूझते हुए भी सही निर्णय नहीं लिया जाता। क्या वो लड़की जो अपने जन्म देने वाले माँ बाप को छोड़ कर भाग गयी थी उसे बलात्कार पीड़िता कहलाने का हक़ है?? आज १६ वर्ष कि लड़की अपनी पढाई पर ध्यान न देकर शादी करने और गृहस्थी सजाने के सपने देख अपनी देह किसी को भी सौंप सकती है तो इसे उसकी नासमझी या नादानी क्यों समझा जाना चाहिए। यदि बलात्कार करने वाले को जेल भेज जाता है तो इन नादान लड़कियों को भी सुधार गृह भेज जाना चाहिए ।
शिवांगी पुरोहित

फेसबुक वाल से साभार

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