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ऑनलाइन डोनेशन के नाम पर होता है फ्रॉड, जानिए ऐसी ही एक कहानी

क्या आपने कभी सोचा है कि ऑनलाइन साइट्स के जरिए चंदा इकट्ठा करने वाली संस्थाओं का आधार क्या है? ये किस तरह की सेवाएं देते हैं?

Sep 15, 2018 / 10:23 am

सुनील शर्मा

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क्या हमारी दान की हुई राशि जरुरतमंदों तक पहुंचती है? अक्सर हम इस तरह के सवाल को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन साइबर क्राइम के इस दौर में जागरुक होना जरूरी है। ऐसी ही एक घटना ने जिम की जिंदगी का चैन छीन लिया था।
सोशल मीडिया पर रोज असहाय, बीमारों और इलाज के नाम पर क्राउड फंड रेजिंग चैरिटी संस्थाएं हमें दान करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इंसानियत के नाते अपना फर्ज निभाते हुए अक्सर हम लोग ऐसी साइट्स पर भरोसा कर डोनेशन भी करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऑनलाइन साइट्स के जरिए चंदा इकट्ठा करने वाली संस्थाओं का आधार क्या है? ये किस तरह की सेवाएं देते हैं? अगर गलती से कभी दान की राशि ज्यादा चली जाए तो उसे वापस लेने के लिए कहां संपर्क करें? ये वो सवाल हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।
ऐसी ही एक घटना ने जिम होक की जिंदगी का चैन छीन लिया था। दरअसल वे एक जरुरतमंद महिला की मदद करना चाहते थे। ‘गो फंड मी’ नाम की एक क्राउड फंड रेजर संस्था सोशल साइट्स के जरिए इस बुजुर्ग महिला के लिए आर्थिक मदद जुटा रही थी। जिम ने भी संस्था की आधिकारिक साइट पर दी जानकारी अनुसार ११०० रुपए उस महिला को ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। लेकिन उनके होश तब उड़ गए जब उन्हें पता लगा कि उनके खाते से करीब साढ़े ११ लाख रुपए संस्था के खाते में चले गए थे।
संस्था ने कहा, नहीं लौटा सकते
जिम ने संस्था को ईमेल कर सारे घटनाक्रम की जानकारी दी। साथ ही अतिरिक्त राशि लौटाने की अपील भी की। संस्था ने जवाब में कहा गया कि उनकी कंपनी में दान की हुई राशि वापस नहीं लौटाई जाती। उस महिला के पास कम्प्यूटर या स्मार्टफोन न होने की वजह से वह भी जिम के मेल नहीं पढ़ पाई।
कम नहीं हुईं परेशानियां
पता चलने पर इसाटा ने जिम के पैसे लौटाने चाहे। लेकिन गो फंड मी ने अपनी पॉलिसी का हवाला देते हुए ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन संस्था ने जल्द ही इस गलती को सुधारने का वादा किया। तब जिम को तसल्ली हुई। चेक मिलने की उम्मीद जगने के बाद ही उन्होंने अपनी पत्नी को इस बारे में बताया।
कौन थी वह महिला
इसाटा जालोह नाम की ये महिला डरल्स अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ट्रालीमैन का काम करती थी। लेकिन कंपनी ने उसे यह कहकर नौकरी से निकाल दिया था कि उसने एक यात्री से टिप की मांग की थी। वह महिला अपने परिवार और खर्चों को लेकर बेहद परेशान थी। हालांकि बाद में कंपनी ने उसे वापस नौकरी पर रख लिया था। गो फंड मी संस्था ने महिला की कहानी सोशल नेटवर्किंग पर शेयर कर लोगों से मदद मांगी। जिम को महिला के साथ हुए इस घटनाक्रम ने ही मदद के लिए प्रेरित किया था।
हुआ क्या था
72 साल के जिम होक एक सेवानिवृत्त सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। जिम को पहले तो यकीन ही नहीं हुआ कि उनसे ऐसी गलती हुई है। वे इसे बैंक के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की गलती मान रहे थे। लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि यह उनकी एक छोटी सी लापरवाही के कारण हुआ था। इदरअसल उन्होंने गो फंड मी के डोनेशन फॉर्म को भरते समय राशि में तो 1100 रुपए ही लिखा था लेकिन टैब की जगह उन्होंने इसी खाने में अन्य जानकारी भर दी थीं। एक टैब का बटन न दबाने के कारण उनके खाते से 1100 रुपए की जगह 11.5 लाख रुपए दान खाते में चले गए थे।

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