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भूख से लड़ी, देश को दिलाया स्वर्ण

Published: Nov 13, 2017 05:36:46 pm

लड़की कोई और नहीं बल्कि 22वें एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2017 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली पीयू चित्रा थी।

PU Chitra

PU Chitra

एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप एक लड़की अपना पूरा दम खम लगा कर भाग रही थी, वो चीन और जापानी प्रतिभागी के सामने बिल्कुल नोटिस नहीं की जा रही थी। यहां तक कि कॉमेंटेटर ने लगभग 2:30 मिनट तक इस लड़की का नाम तक नहीं लिया था। तभी अचानक दृश्य बदला। अचानक उसने अपनी पूरी ताकत बटोरी और चीनी-जापानी लड़कियों से होड़ शुरू की, अपना लेन बदला और देखते ही देखते आखिरी 250-300 मीटर में सबको पीछे छोड़ दिया

लड़की कोई और नहीं बल्कि 22वें एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2017 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली पीयू चित्रा थी। फर्स्ट और सेकंड लेन में जगह ना मिलने के कारण चित्रा ने बाहरी लेन से लीड लेना शुरू किया था

9 जून 1995 को जन्मीं चित्रा, पलक्कड़ में रहने वाली एक गरीब परिवार से हैं। चित्रा मध्यम गति से दौड़ने वाली धावक हैं। चित्रा के पिता उन्नीकृष्णन और मां वसंता कुमारी खेतिहर मजदूर हैं। उनके चार बच्चे हैं, जिनमें चित्रा तीसरे नंबर पर है। पति-पत्नी को अपने घर के खर्चे पूरे करने में ही कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार ऐसा होता था कि उन्हें काम नहीं मिलता था और उन्हें किसी का बचा हुआ खाना खाना पड़ता था। ऐसे में चित्रा के लिए वे खेल-सुविधाएं कहां से जुटा पाते।

कई बार चित्रा को भूखे पेट सोना पड़ा, लेकिन ऐसे मुश्किल हालात भी उसे सुबह जागकर फिजिकल एजुकेशन की क्लास में जाने से कोई रोक नहीं पाया। चित्रा जब स्कूल में पढ़ती थी, तब उसे केरल स्पोर्ट काउंसिल की तरफ से रोजाना 25 रुपये और युवा एथलीटों के लिए चलने वाली एक स्कीम के तहत भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से 625 रुपये प्रतिमाह मिलते थे। इससे उसे अपनी बेसिक ट्रेनिंग जारी रखने में मदद मिली।

चित्रा ने 2011 में 1500 मीटर, 3000 मीटर, 5000 मीटर रेस और कांस्य के 56 वें भारतीय राष्ट्रीय स्कूल खेल, पुणे, महाराष्ट्र में तीन किलोमीटर के पार देश में स्वर्ण पदक जीता था और 2010 में 1500 मीटर, 300 मीटर और 56वें केरल स्टेट स्कूल गेम्स में त्रिशंकु में 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।

इस लड़की ने एक सपना देखा था अपने देश का नाम रोशन करने का, अपने माँ बाप की आंखों में एक उम्मीद देखी थी औऱ उसने इस सपने को दिल से जिया औऱ इस सपने को साकार कर के ।दुनिया को दिखा दिया कि जीत का जुनून हो तो मुश्किलें खुद घुटने टेक देती है। देश को गर्व है इस बेटी पर।

 

डॉ शिल्पा जैन सुराणा

 

 

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