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जज्बे को सलाम

Published: Nov 13, 2017 05:48:11 pm

मुस्‍कान की लाइब्रेरी में अब 100 से ज्‍यादा पुस्‍तकें हैं और रोजाना 20 से 25 बच्‍चे इस छोटी-सी लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आते हैं।

Dedication

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दोस्तो, मन मे अगर कुछ करने का जज़्बा हो तो उम्र कोई मायने नही रखती। इस बाल दिवस पर हम बात कर रहे है उस बच्ची के बारे में जो कद और उम्र दोनो में छोटी है, मगर उसके सपनो की उड़ान बहुत ऊंची है, ये लड़की है महज 9 साल की मासूम सी मुस्कान अहिरवार।


झुग्‍गी बस्‍ती में रहने वाले बच्‍चों की रूचि आमतौर पर पढ़ाने-लिखने में कम होती है। लेकिन भोपाल की झुग्‍गी-झोपड़ी में रहने वाली पांचवीं कक्षा की छात्र अपने घर में दूसरे बच्‍चों को शिक्षा का महत्‍व बताने और उन्‍हें प्रोत्‍साहित करने के लिए लाइब्रेरी चला रही है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बच्‍ची के उद्देश्‍य को सलाम करते हुए 2 लाख रुपये देकर मदद की है।

 

मुस्‍कान अहिरवार ने पिछले साल अपने घर से ही एक छोटी से लाइब्रेरी ‘बाल पुस्‍तकालय’ की शुरुआत सिर्फ २५ शैक्षिक पुस्‍तकों के साथ की थी। बता दें कि मुस्‍कान एक स्‍लम एरिया दुर्गा नगर में रहती है, जो भोपाल में राज्य सचिवालय से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित है। मुस्‍कान की लाइब्रेरी में अब 100 से ज्‍यादा पुस्‍तकें हैं और रोजाना 20 से 25 बच्‍चे इस छोटी-सी लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आते हैं। ये लाइब्रेरी मुस्‍कान घर में ही चला रही है, इसलिए सिर्फ शाम को ५ बजे से ७ तक ही इसे खोल पाती है।

लेकिन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिली मदद के बाद मुस्‍कान की लाइब्रेरी की शक्‍ल बदलने वाली है। शिवराज सिंह चौहान बुधवार को मुस्‍कान से मिलने के लिए उसके घर पहुंचे और २ लाख रुपये का चैक उसे लाइब्रेरी को और बढ़ाने के लिए दिए। मुख्‍यमंत्री ने मुस्‍कान से वादा किया है कि वो इस लाइब्रेरी के लिए एक पक्‍का कमरा बनवाएंगे। इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुस्‍कान जैसी लड़कियों को अगर सपोर्ट मिलता है, तो हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति जल्‍द ही सुधर जाएगी। सरकार इस दिशा में काफी काम कर रही है।’

डॉक्‍टर बनने का सपना देखने वालीं मुस्‍कान बताती हैं कि पिछले महीने जब उनके पिता का निधन हो गया, तो उसकी हिम्‍मत टूट गई थी। लेकिन मुख्‍यमंत्री से मदद मिलने के बाद अब वह फिर अपने जैसे बच्‍चों को शिक्षित करने की दिशा में जुट गई है।

इस छोटी सी बच्ची के जज्बे को सलाम है, जो इस नन्ही सी उम्र में बच्चो में शिक्षा की अलख जगा रही है। आज भारत को ऐसे ही बच्चो की जरूरत है जो उसका भविष्य उज्ज्वल करेंगे।

 

डॉ शिल्पा जैन सुराणा

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