जंक फूड का अधिक इस्तेमाल, खाने-पीने में लापरवाही, बदलती जीवनशैली व भागदौड़ भरी दिनचर्या लड़कियों तथा महिलाओं की सेहत बिगाड़ रही हैं
बदलती जीवनशैली व भागदौड़ भरी दिनचर्या लड़कियों और महिलाओं की सेहत बिगाड़ रही हैं। जंक फूड का अधिक इस्तेमाल, खाने-पीने में लापरवाही, शारीरिक गतिविधयां कम होने व मोटापा बढऩे के कारण 15 से 40 वर्ष की आयु की महिलाओं को पीसीओएस (पॉलीसिस्ट ओवरी सिंड्रोम) नामक विकार घेर रहा हैं।
स्त्री रोग विशेषज्ञों की मानें तो राजधानी में इससे पीडि़ताओं की संख्या दस सालों में सत्तर फीसदी तक बढ़ गई हैं। इस विकार के कारण कुछ समय बाद महिलाओं को डायबिटीज, रक्तचाप, तनाव, नि:संतानता, कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं।जनाना अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की सहायक आचार्य डॉ. राखी आर्य ने बताया कि अस्पताल के एक आउटडोर में इस सिंड्रोम से पीडि़त 20-30 महिलाएं रोजाना आ रही हैं।
कई लड़कियों को किशोरावस्था में ही इसकी समस्या होने लगती हैं। लेकिन, जागरूकता के अभाव में वे अपने परिजनों को भी नहीं बताती। शादी के बाद इससे परिणाम नि:संतानता व अन्य बीमारियों के रूप में सामने आने लगते हैं। इससे कई लड़कियां डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती हैं। यह विकार जीवनचर्या बिगडऩे के कारण होता है, दिनचर्या व खान-पान में बदलाव से यह पूरी तरह से ठीक भी हो सकता हैं।
दस में से एक महिला शिकारमेट्रोपोलिस हेल्थ केयर नामक लेबोरेट्री ने हाल ही में भारत में पीसीओएस पर एक शोध भी किया था। 15 से 30 वर्ष की करीब 27,411 महिलाओं पर सर्वे किया गया। 18 महीनों तक चले इस सर्वे में 4824 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या मिली। इसके अनुसार देश में हर दस में से एक महिला इससे पीडि़त हैं।
क्या है पीसीओएसपीसीओएस यानि की पॉलीसिस्ट ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोन्स संबंधी विकार है। जिसमें महिलाओं के अंडाशय में गांठे बनने लगती हैं। इस कारण महिलाओं में पुरुष हार्मोन्स सक्रिय होने लगते हैं।
ये है लक्षणअनियमित माहवारी
चेहरे पर बालों की अधिकता
सिर पर बालों की कमी
अधिक मुहांसे
त्वचा संबंधी विकार
ये है उपायमोटापा कम करें
नियमित कसरत या योग
जंक फूड व फास्ट फूड का त्याग
ये हैं परेशानमानसरोवर निवासी रेणुका (परिवर्तित नाम) की शादी दो साल पहले हुई थी। लेकिन, उनके बच्चा नहीं हो पा रहा था। स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो पता चला कि उसे कई सालों से पीसीओएस की समस्या हैं। कई महीनों तक दवाइयां लेने के बाद भी फायदा नहीं हुआ। अगर यह समस्या लंबे समय तक रही तो उन्हें नि:संतान ही रहना पड़ेगा।
जेएलएन मार्ग निवासी शुचि (परिवर्तित नाम) महज 16 साल की हैं। उसे शुरुआत से ही इस विकार की समस्या है। पहले उसने इस बारे में किसी को नहीं बताया। कुछ समय बाद उसकी बड़ी बहिन को पता लगने पर उन्होंने विशेषज्ञों से सम्पर्क किया। डॉक्टर ने टेस्ट व सोनोग्राफी के बाद बताया कि उसे पीसीओएस है।