scriptसामाजिक मूल्यों का यह पतन रोकना होगा | The fall of social values has to be stopped | Patrika News

सामाजिक मूल्यों का यह पतन रोकना होगा

Published: Sep 08, 2018 11:15:38 am

हमारा सामाजिक परिवेश बदल रहा है! जहाँ सयुंक्त परिवार होते थे,अब एकल परिवार मे बाल विधवा, अनाथ बच्चे, व बुजुर्ग सभी का समय अच्छा गुजर जाया करता था!

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हमारा सामाजिक परिवेश बदल रहा है! जहाँ सयुंक्त परिवार होते थे,अब एकल परिवार मे बाल विधवा, अनाथ बच्चे, व बुजुर्ग सभी का समय अच्छा गुजर जाया करता था! कोई किसी का बोझ नहीं समझता था! सामाजिक व्यवस्था सुचारु रूप से बनीहुई थी परिवार मे एक दूसरे के प्रति स्नेह व सद्रभाव का भाव होता था! एक दूसरे के प्रति प्रेम की असीम गंगा बहती थी !युवा होते बच्चो के लिए सामाजिक वरजनाए थी सभी मर्यादा मे रहते थे! धीरे-धीरे समाज की परिभाषा बदल गई हमारे समाजिक मूल्यो व जीवन मूल्यो के मायने बदल गये! सामाजिक मूल्यो का विघटन हो गया! अब हमारे देश मे वृद्धाश्रमो व अनाथश्रमो की सख्या मे निरंतर वृद्धि हो रही है!जिन मासूम बच्चो का बचपन मा के आचल के साये मे गुजरना चाहिए व बच्चे आयायो के हाथ अनाथश्रम मे पलते हे! जिन बुज्रुगो का समय अपने बेटे बहू पोता पौती के साथ हसी खुशी बीतता था, अब वृद्धाश्रमों की शरण मे है !

युवा पीढ़ी उदन्ड होती जा रही है! मर्यादाएं टूट रही हैं ,लावारस बच्चे सडको पर पडे मिलते हैं! वृद्ध परिवार के लिए बोझ बन गया सरकार ने इन निराश्रितो के लिए बोझ बन गए सरकार ने ईंन निराश्रितो के लिए वृध्दाश्रम व अनाथश्रम नायक संस्था बनाई! पर इन संस्थाओ की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है! मूक -बंधिर अनाथश्रमो की हालत तो बद से बदतर है! बेबस बच्चे ,लाचार वृद्ध अपना जीवन केसे गुजार रहे हैं? जहा न बच्चे की किलकारियों न शेतानीया ! वृद्रो का नीरस जीवन मार्मिक है! तो क्यो न वृधश्रम व अनाथश्रंमो को एक सयुंक्त ईकाई बना दी जाए! मुक बधिर बालिका ग्रहो को भी ईसमे सम्मिलित कर लिया जाए, जहा मासूम बच्चों को बुजुर्गो का स्नेह व प्यार मिलेगा -शिक्षा व संस्कार मिलेगा। वृद्धों को वट वृक्ष की छाया मे मासूम बच्चों का जीवन सुरक्षित रहेगा ,प्यार ओर अपनापंन मिलेगा उनकी हसीं से आश्रम गुजता रहेगा! वही हमारे बुजुर्गो को हसी खुशी से भर उटेगी! बच्चो व बुज्रुगो का जीवन आपसी तालमेल से सँवर जाएगा !

अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो प्रोयोगिक तोर पर ईस विकल्प को अपनाया जा सकता है! स्वयंसेवी संस्थाए भी इस ओर प्रयास करे तो बेहतर परिणाम आ सकता है! कुछ बच्चे अपना जीवन संवार लेंगे ! बुढ़ापा आराम से गुजर जाएगा सबसे मुख्य बात अनाथश्रंम के नाम मे जो लाचारी एवं बेबसी है उससे बदल कर नेह आश्रम कर दिया जो स्नेह भी बरसात करेगा!एक खुशहाल समाज का निर्माण होगा तो देश खुशहाल होगा !

लता अग्रवाल

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