मानव अधिकारों का यह सर्वाधिक व्यापक उल्लघंन है जिसके द्वारा महिलाओं तथा लड़कियों को सुरक्षा, सम्मान, समानता, आत्म उत्कर्ष और बुनियादी आजादी के अधिकारों से वंचित रखा जाता है। अर्थात ‘घरेलू हिंसा’ एक ऐसा अपराध है जो न तो सही गैर पर रिकॉर्ड किया जाता है और न ही इसकी सही तौर पर रिपोर्ट की जाती है। अंतत: जब कोई महिला रिपोर्ट लिखवाना चाहती है या मदद चाहती है तो पुलिस उसके प्रति उदासीनता का व्यवहार करती है। इसके साथ-ही-साथ महिला का यह भी सत्य है कि शर्म, बदला लिए जाने का भय, कानूनी अधिकारों की जानकारी न होना, अदालती प्रक्रिया के प्रति विश्वास की कमी या भय, कानूनी कार्यों पर होने वाले खर्च भी ऐसे ही कारण हैं जो घरेलू हिंसा से उत्पीडित महिला को रिपोर्ट न लिखवाने केलिए विवश करते हैं।
***** चुनाव केलिए भ्रूण हत्या, लिंग-जाँच हो जाने पर गर्भावस्था के दौरान औरत पर अत्याचार होता है क्योंकि वह बालिका शिशु को जन्म देने वाली है। बालिका शिशु के जन्म लेते ही उसकी हत्या व इसके साथ ही उसे जन्म देने वाली औरत को दिए जाने वाले शारीरिक, यौन और मानसिक उत्पी?न भी कम नहीं। किशोरावस्था और प्रौढ़ावस्था में गरीबी के कारण मजबूर करके यौनाचार करना, कार्यस्थल पर यौनशोषण, बलात्कार, यौन उत्पी?न, जबरदस्ती करवाई गई वेश्यावृत्ति, अश्लील सामग्री केलिए दुरुपयोग और हत्याएँ, मानसिक उत्पीड़न, विकलांग महिलाओं का यौन शोषण, बलात करवाया गया गर्भधारण आदि के किस्से भी कम नहीं।
आज सभी देशों में महिलाएँ जहाँ इक्कीसवीं सदी की वैश्विक समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रही हैं, वहीं गरीबी और आर्थिक अनिश्चितता तथा आए दिन बूते महिला उत्पीत्न और दिल दहला देने वाली हिंसात्मक घटनाओं का शिकार होती महिलाओं ने एक बार फिर विश्व में मानव अधिकारों के हिमायती, समानता और सुरक्षा तथा शांति की दुहाई देनेवाले राष्ट्रों के नेताओं, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और समुदाओं के सामने इस क?वे सच को उजागर करके, उनके मुखौटे उतार फेंके हैं। क्योंकि महिलाओं को ***** भेद के कारण कानूनी अधिकार, सामाजिक अधिकार और आर्थिक अधिकारों का न मिलना आज भूमण्डलीकरण की चुनौती बन गई है। इसी कारण महिलाओं का आज सबसे अधिक शोषण हो रहा है।