कम्प्यूटर में व्यस्त रहने के कारण वह आठवीं क्लास में फेल हो गए, जिसके कारण उन्हें माता-पिता से डांट का सामना करना पड़ा, वहीं दोस्तों ने उनका खूब मजाक उड़ाया। तृशनीत की स्कूली किताबों और एजुकेशन में कम रुचि थी, वह अपना ज्यादातर समय कम्प्यूटर नॉलेज हासिल करने और हैकिंग में बिताते थे। उनका इंटरेस्ट इतना गहरा था कि उन्होंने हैकिंग पर इंटरनेशनल बुक्स भी पढऩा शुरू कर दिया। किसी ने कहा है विफलताएं जीवन का हिस्सा है। तृशनीत अपने एकेडमिक्स में विफल रहे, लेकिन उन्होंने दूसरी फील्ड में अव्वल रहने की ठान ली। उन्होंने यंग एज में ही तीन किताबें ‘हैकिंग टॉक विद् तृशनीत अरोड़ा’, ‘द हैकिंग एरा’, ‘हैकिंग विद् स्मार्टफोन’ लिख ली, जो युवाओं के बीच प्रसिद्ध किताबें हैं।
वह अपने क्लाइंट्स को साइबर सिक्योरिटी प्रोवाइड करते हैं और उन्हें हैकर्स से बचाते हैं। तृशनीत की कामयाबी यह साबित करती है कि पैशन के आगे पढ़ाई मायने नहीं रखती। उनके मुताबिक, विफलताओं से कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि विफलताएं ही आगे बढऩे का रास्ता दिखाती हैं और इससे आपको अपने स्ट्रॉन्ग साइड को पहचानने का मौका मिलता है। अत: आपको कामयाब होने के लिए विफलता से निराश होने के बजाय सीख लेनी चाहिए।