विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी जिन चार खांसी की सीरप के बारे में अलर्ट जारी कर उनको जानलेवा बताया है उनके बारे में अब भारत सरकार ने भी जांच शुरू कर दी है। ये चारों दवा मैडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं, जिसका ऑफिस हरियाणा के सोनीपत में स्थित है। भारत सरकार ने बताया है कि कंपनी के पास भारत में आपूर्ति के लिए लाइसेंस नहीं था। कंपनी का ट्विटर प्रोफाइल में भी कहा गया है कि कंपनी सिर्फ निर्यात के लिए मेडिकल उत्पाद बनाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में बनी जिन चार खांसी की सीरप के बारे में अलर्ट जारी कर उनको जानलेवा बताया है उनके बारे में अब भारत सरकार ने भी जांच शुरू कर दी है। ये चारों दवा मैडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं, जिसका ऑफिस हरियाणा के सोनीपत में स्थित है..। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इस बात की जानकारी दी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से भारत में निर्मित 4 कफ सिरप के खिलाफ अलर्ट जारी करने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं। गौरतलब है कि अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के मामले में भारत में निर्मित इन 4 कप सिरप को संभावित जिम्मेदार माना जा रहा है। WHO ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इन कफ सीरप के कारण इन बच्चों में गुर्दे की गंभीर समस्या पैदा हुई, जिसके कारण इनकी मौत हो गई।
1. लैब भेज गए सैंपल्स : इस मामले पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा भारत की मेडेन कंपनी की कफ सीरप के बारे में उत्पाद अलर्ट जारी करके बाद इस बारे में केंद्र सरकार के अधिकारी पूरी जानकारी जुटा रहे हैं। सैंपल लिए गए हैं और इनको अब सेंट्रल ड्रग लैब को भेजा जाएगा। कोलकाता स्थित लैब की रिपोर्ट आने के बाद कुछ भी गलत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
2. भारत में आपूर्ति का लाइसेंस नहीं: वहीं अखिल भारतीय केमिस्ट और ड्रगिस्ट संगठन ने कहा है कि, भारत में मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड दवाओं की कोई आपूर्ति नहीं है। संगठन ने बताया है कि वे केवल अपने उत्पादों का भारत से बाहर निर्यात करते हैं। फिर भी, यदि भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोई दिशानिर्देश जारी किया जाता है तो हम उन दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। 3. सिर्फ निर्यात के कंपनी के पास लाइसेंस: यही नहीं , भारत सरकार ने भी बताया है कंपनी के पास भारत में इन दवाओं की आपूर्ति के लिए लाइसेंस ही नहीं था, इनको सिर्फ निर्यात किया जा रहा था। कंपनी के ट्विटर प्रोफाइल पर भी इस एक्सक्लूसिव रूप से निर्यात प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी बताया गया है।
4. सिर्फ गांबिया हुआ निर्यात : लेकिन सवाल है कि क्या गांबिया के बाहर किसी और देश में भी ये दवाएं सप्लाई की जा रही थीं —अभी प्रथम दृष्टया तो यही लगता है कि ऐसा नहीं है। भारत सरकार और WHO दोनों ने यही संकते दिए हैं। —लेकिन इसके बावजूद —- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी आगाह किया है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये दूषित दवाएं पश्चिम अफ्रीकी देश के बाहर भी वितरित की गई हों, इसलिए इनसे वैश्विक जोखिम की भी “आशंका” बनी हुई है।
5. कंपनी ने नहीं किया WHO को सुरक्षित उत्पाद के बार में आश्वस्त : चेतावनी में कहा गया है, कि इंगित किए गए निर्माता ने अब तक प्रदूषित उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को कोई गारंटी नहीं दी है। तो चलिए आपको एक बार फिर बताते हैं कि…डब्ल्यूएचओ द्वारा बुधवार 5 अक्टूबर को जारी मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट के अनुसार, जिन चार उत्पादों में ये शिकायत पाई गई है उनके नाम क्या हैं -ये दवाएं हैं …. प्रोमेथाज़ाइन ओरल सॉल्यूशन (Promethazine Oral Solution), कोफेक्समेलिन बेबी कफ सीरप (Kofexmalin Baby Cough Syrup), मैकॉफ बेबी कफ सीरप (Makoff Baby Cough Syrup) और मैग्रिप एन कोल्ड सीरप (Magrip N Cold Syrup) हैं।
6. ये कैमिकल मिल अस्वीकार्य मात्रा में: प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इन सीरप के 24 सैंपल्स में से 4 सैंपल दूषित मिले हैं। इनमें डाइथीलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की अस्वीकार्य मात्रा की पुष्टि हुई है, जो इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है। एक मेडिकल प्रॉडक्ट अलर्ट जारी करते हुए WHO ने कहा, ‘चारों कफ सीरप के सैंपल के लैबोरेटरी टेस्ट में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई है। ये पदार्थ मनुष्यों के लिए जहरीले होते हैं और घातक हो सकते हैं, यह कहते हुए कि इनसे “पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में असमर्थता, सिरदर्द, मेंटल समस्या और गुर्दे को नुकसान हो सकता है।”
7. भारत समेत कई देशों में पहले भी हुई हैं मौतें: बता दें ये दोनों पदार्थ लंबे समय से टूथपेस्ट, दवाओं और कास्मेटिक्स में बहुत सीमित मात्रा में प्रयुक्त होते रहे हैं। ये मुख्य रूप से फूड एडिटिव और एनहैंसर के रूप में प्रयुक्त होते आए हैं और इनकी अधिक मात्रा में प्रयोग से दुनिया भर में कई जगह मौतें हो चुकी हैं। भारत में भी इससे पहले भी मौतें रिपोर्ट की गई हैं। विकीपीडिया में भी इस बारे में भरपूर लिटरेचर उपलब्ध है। यूरोप और अमरीका में इनका प्रयोग दवाओं में प्रतिबंधित किया जा चुका है…लेकिन कॉस्मैटिक्स में बहुत सीमित प्रयोग की अनुमति है।
8. इस तरह करता है ये असर : आइए आपको बताते हैं कि किस तरह से इस कैमिकल डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल का मानव शरीर पर तीन चरणों में असर होता है —- पहली स्टेज – 2 दिन में उल्टी – दस्त, पेट – दर्द और दिमाग सुन्न पड़ने जैसे हालात दूसरी स्टेज – तीसरे-चौथे दिन में किडनी फेल की शिकायत, यूरिन पास नहीं होती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हृदय गति अनियमित हो जाती है। तीसरी स्टेज – 5 से 10 दिन में पैरालिसिस के लक्षण और कोमा के अलावा मौत तक मुमकिन
9. बच्चों के लिए बेहद असुरक्षित : WHO ने जारी बयान में बच्चों के लिए इन दवाओं को सर्दी और खांसी की शिकायत पर दिए जाने पर बेहद असुरक्षित बताया है, खासतौर से ये दवाएं बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती हैं, इससे लोगों को गंभीर इंजरी हो सकती है, यहां तक कि उनकी मौत भी हो सकती है, इसलिए ऐसी किसी दवा का उपयोग न करें।
10. मौतें इसी दवा से हुई हैं इसका अभी तक सीधा एक कारकीय समानुपातिक संबंध स्थापित नहीं किया गया है।