लंबाई : 82 किलोमीटर, शुरू : 1881
पनामा नहर प्रशांत और अटलांटिक महासागर को जोडऩे का एक शॉर्टकट है। उत्तरी अमरीका के पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक जाने वाले जहाजों के लिए यह नहर 8 हजार नॉटिकल मील की दूरी और 21 दिन का समय बचाती है। 2019 में नहर से 25 लाख टन से अधिक माल की ढुलाई हुई, जिससे 2.6 अरब डॉलर के टोल की कमाई हुई।
लंबाई: 193 किलोमीटर, शुरू: 1859
स्वेज यूरोप को एशिया से जोड़ती है। 2019 में नहर से 19 हजार जहाजों से एक अरब टन माल की ढुलाई हुई। इस जलमार्ग के बिना जहाजों अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाना पड़ेगा, जिससे सात दिन का समय और बढ़ जाएगा। मिस्र ने 2015 में इसकी चौड़ाई को बढ़ाया, लेकिन एवर गिवन के फंसने से स्पष्ट हो गया कि अभी जलमार्ग सुरक्षित नहीं है।
लंबाई: 167 किलोमीटर शुरू: 1959
ईरान द्वारा नियंत्रित यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है। यह दुनिया के तेल व्यापार की अहम कड़ी है। होर्मुज से प्रतिदिन 2.1 करोड़ बैरल तेल का परिवहन होता है। इस पर क्षेत्रीय संघर्ष भी रहा है। मसलन, 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान टैंकरों और जहाजों पर हमला किया गया।
लंबाई: 800 किलोमीटर शुरू: 14 वीं सदी में
भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापार के लिए मलक्का जलडमरूमध्य काफी महत्वपूर्ण है। 1.5 मील लंबाई वाला यह मार्ग दुनिया में सबसे छोटा है। निजी सूचना समूह रिकैप के मुताबिक इस क्षेत्र में समुद्री डकैती का खतरा काफी रहता है। 2019 में समुद्री डकैती की 30 घटनाएं हुई थीं।
लंबाई : 50 किलोमीटर
दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस के लिए महत्वपूर्ण जलमार्ग है। अफ्रीका और मध्य पूर्व के बीच स्थिति यह जलमार्ग भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ता है। मलक्का की तरह यहां भी समुद्री डाकुओं के जोखिम वाला क्षेत्र है। पिछले वर्ष मई में यमन के तट पर ब्रिटेन के एक रासायनिक तेल टैंकर पर हमला किया गया था। इसके अलावा तुर्की जलडमरूमध्य, डेनमार्क का डेनिश स्ट्रेट और दक्षिण अफ्रीका का केप ऑफ गुड होप अन्य महत्वपूर्ण जलसंधियां विश्व व्यापार के लिए अहम हैं।
चोक पॉइंट्स, जलडमरूमध्य अथवा नहर के रूप में ऐसे संकरे मार्ग या जलसंधि हैं, जो दो समुद्री भागों को जोड़ता है। समय और दूरी बचाने के लिए इनका इस्तेमाल होता है। जैसे स्वेज के बिना यूरोप से भारत आने वाले जहाजों को अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप का चक्कर लगाना पड़ेगा।
संरचना और भू-राजनीतिक कारणों से इनमें कई बार अवरोध आ जाता है। जैसे चौड़ाई कम होने के कारण स्वेज नहर कई दिन जाम रही। कई बार राजनीतिक अस्थिरता के कारण भी ये रास्ते बंद रहे। जैसे 1967 का स्वेज संकट, तब मिस्र और इजराइल के बीच युद्ध के कारण नहर आठ वर्ष तक बंद रही थी।
विश्व के 8 प्रमुख चोक पॉइंट्स के विकल्प तैयार करने की कई योजनाएं बनीं, लेकिन मूर्तरूप नहीं ले पाईं। मसलन पनामा नहर के बदले अन्य नहर बनाने के लिए निकारागुआ की संसद ने 40 अरब डॉलर की परियोजना का मसौदा मंजूर किया था।