इस प्रतिमा को दिसंबर में यहां लगाया गया था, जिसका इस्लामी कट्टरवादियों ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इसे बीते साल उस मैदान के सामने स्थापित किया गया जहां साल में दो खास इस्लामी पर्वों पर विशेष नमाज पढ़ी जाती है।
डेली स्टार की रविवार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिमा को फिर से लगाने का कार्य शनिवार को शाम 7.00 बजे शुरू हुआ। इसमें सात से आठ लोग लगे हुए थे। मूर्तिकार मृणाल हक ने डेली स्टॉर से कहा कि प्रतिमा अब जहां लगाई गई है, उसे वह सही नहीं मानते क्योंकि इस पर अब लोगों का मुश्किल से ध्यान पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पहले वाली जगह प्रतिमा के लिए सबसे अच्छी जगह थी, लेकिन वह खुश हैं कि कम से कम प्रतिमा को एक जगह मिल गई। उन्होंने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों ने हमें शनिवार सुबह को प्रतिमा को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के बारे में सूचित किया।’
हालांकि, महान्यायवादी महबूबे आलम ने डेली स्टार से कहा कि उन्हें स्थानांतरण के बारे में कुछ नहीं पता है और प्रधान न्यायाधीश को भी इसके बारे में सूचना नहीं दी गई।