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कमला हैरिस से पहले इन भारतवंशी राजनेताओं ने बढ़ाया देश का गौरव

Published: Aug 23, 2020 11:36:59 pm

Submitted by:

pushpesh

-नवंबर में अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन जीते तो भारतीय मूल की हैरिस होंगी उप राष्ट्रपति

कमला हैरिस से पहले इन भारतवंशी राजनेताओं ने बढ़ाया देश का गौरव

कमला हैरिस

नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोके्रटिक उम्मीदवार जो बाइडेन जीत जाते हैं तो कमला हैरिस अमरीका की न केवल पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी, बल्कि पहली अश्वेत और पहली एशियाई अमरीकी उपराष्ट्रपति होंगी। कट्टरपंथी उनकी उम्मीदवारी को अलग ढंग से परिभाषित करने का प्रयास कर रहे हैं तो उनके समर्थक अमरीकी पहचान और बहुलवाद की स्थायी दृष्टि से उनको स्वीकारते हैं। हैरिस भी उस ‘समोसा कॉकस’ (अमरीकी संसद में भारतीय अमरीकी सदस्य) का हिस्सा हैं, जिसमें भारतीय मूल के पांच डेमोक्रेट कांग्रेस का हिस्सा हैं।
नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में इनका प्रमोशन हो सकता है। क्योंकि अमरीका की राजनीति में दक्षिण एशियाई मूल के सदस्यों की संख्या बढ़ रही है। दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की दूत रहीं निक्की हैली और लुइसियाना के पूर्व गवर्नर और पिछली बार राष्ट्रपति की दौड़ में रहे रिपब्लिकन सदस्य बॉबी जिंदल भी भारतीय प्रवासियों की संतानें हैं। लेकिन न सिर्फ अमरीका बल्कि पश्चिम के राजनीतिक मंच पर कदम रख रही हैं, जहां एक दशक से कई भारतीय मूल के लोगों ने राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। कनाडा में अमरीका की आबादी के अनुपात में अधिक भारतीयों को राजनीति में जगह बनाई है। यहां तक कि कनाडा में जस्टिन ट्रुडो मंत्रिमंडल में भारत से भी अधिक सिख मंत्री हैं।
यूरोप की राजनीति में भी भारतीय मूल के लोगों ने अपनी जगह बनाई है। आयरलैंड के निवर्तमान प्रधानमंत्री लिओ वराडकर के पिता भारतीय हैं तो पुर्तगाली प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा के माता-पिता गोवा से पुर्तगाल जा बसे। 2017 में प्रवासी भारतीय सम्मान से भी नवाजे जा चुके हैं। ब्रिटेन में वित्त जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे ऋषि सुनक प्रवासी पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता यशवीर अफ्रीकी देश केन्या में पैदा हुए, जबकि मां उषा का जन्म तंजानिया में हुआ। ऋषि सुनक भारतीय उद्योगपति नारायणमूर्ति के दामाद हैं।
नाना जब लेकर गए रोडेशिया
हैरिस का जीवन एक भूगोल जैसा है। जब वह बच्ची थीं तो अपने नाना के साथ जांबिया गई थीं, जो भारतीय सिविल सेवक थे और उन्हें जांबिया सरकार ने दक्षिण रोडेशिया (अब जिम्बाब्वे) से आने वाले शरणार्थियों के लिए राहत उपायों को संभालने का जिम्मा दिया। इस जुड़ाव ने उन्हें औपनिवेशिक भारत के हालातों को महसूस करने का अवसर दिया। हैरिस ने पिछले वर्ष लॉस एंजिल्स टाइम्स से कहा था कि उनके नाना से ही उन्हें नागरिक अधिकारों की रक्षा, समानता और अखंडता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिली है।
कई देशों में कामयाब रहे हैं भारतवंशी
दरअसल ये सरल जनसांख्यिकीय सचाई है। दुनिया की कुल आबादी में दक्षिण एशिया का पांचवां हिस्सा है और दुनिया के प्रवासी समुदाय में सर्वाधिक उन्नत और कामयाब रहे हैं। भारतीय मूल के राजनेता कई द्वीपों में फैले हैं, लेकिन उनके एजेंडे में भारतीयता कम नजर आती है। पुर्तगाल के पीएम कोस्टा एक समाजवादी हैं और प्रवासियों से आग्रह किया वे उनके देश में आकर बसें। ब्रिटेन की गृह सचिव और गुजराती प्रवासी माता-पिता की संतान प्रीति पटेल अफ्रीका में पैदा हुईं हैं, वे प्रवासी और शरण चाहने वालों का चेहरा बन गईं।

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