नेपाल के विदेश मंत्रालय (MoFA) के सचिव, तत्कालीन शंकर दास बैरागी और मई 2017 में नेपाल में चीनी राजदूत यो होंग द्वारा BRI के तहत हस्ताक्षरित Mou में चीन के प्रयास स्पष्ट दिखाई देते हैं कि वो नेपाल में अपना एकाधिकार लागू करने का प्रयास किया है।
वहीं चीन की साजिश पर एक वरिष्ठ पत्रकार और भ्रष्टाचार विरोधी गैर-सरकारी संगठन, फ्रीडम फोरम के अध्यक्ष तारानाथ दहल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “BRI डॉक्यूमेंट को सार्वजनिक नहीं करना नेपाल और चीन के पारंपरिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।” उन्होंने आगे कहा कि “चूंकि पारदर्शिता नहीं है, इसलिए जवाबदेही का सवाल उठता है।” कुछ एक्स्पर्ट्स का कहना है कि चीन के दबाव के कारण भी नेपाल ने इस दस्तावेज को सार्वजनिक न किया हो। यदि डॉक्यूमेंट में सच्चाई है तो नेपाल को अभी से सतर्क रहने की आवश्यकता है।