गलती से मिला शोध का रास्ता
शोध की लेखिका सबरीना रोंडे ने कहा कि उन्हें पहली बार गलती से पता चला कि क्वीन बम्बल-बी यानी रानी भौंरां (Bumblebee) दुर्घटनावश डूबने का सामना कर सकती हैं। वह सर्दियों के लिए भूमिगत रहने वाली क्वीन बम्बलबी पर मिट्टी में कीटनाशक अवशेषों के प्रभाव का अध्ययन कर रही थी, जब पानी गलती से कुछ मधुमक्खियों की नलियों में प्रवेश कर गया। रोंडे ने कहा, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे बच गईं। जो कुछ हुआ उसे बेहतर ढंग से समझने के लिए नए प्रयोग शुरू किए गए।
81 फीसदी ‘बम्बल-बी’ बाढ़ से बची
जर्नल बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं ने शीतनिद्रा में रहने वाली 143 रानी भौंरों (Bumblebee) को ट्यूबों में रखा, जिनमें से कुछ में पानी नहीं था, कुछ पानी में तैर रही थीं और कुछ पूरी तरह से पानी में डूबी हुई थीं, आठ घंटे से लेकर सात दिनों तक की अवधि तक प्रयोग किया गया। उल्लेखनीय रूप से, 81 प्रतिशत हाइबरनेटिंग क्वीन जो जलमग्न थीं, न केवल सात दिनों तक जीवित रहीं, बल्कि एक बार सूखी स्थिति में लौटने के बाद आठ सप्ताह बाद भी जीवित रहीं। मधुमक्खियों और इनकी कॉलोनी पर पड़ने वाले प्रभावों पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
क्या है हाइबरनेटिंग
समशीतोष्ण और शीतप्रधान देशों में रहनेवाले जीवों की उस निष्क्रिय तथा अवसन्न अवस्था को हाइबरनेटिंग या शीतनिष्क्रियता कहते हैं जिसमें वहां के अनेक प्राणी जाड़े की ऋतु बिताते हैं। इस अवस्था में शारीरिक क्रियाएं रुक जाती हैं या बहुत क्षीण हो जाती है और वह जीव दीर्घकाल तक पूर्ण निष्क्रिय होकर पड़ा रहता है।
परागणकों की संख्या में आ रही कमी
संपूर्ण विश्व में 1,200 फसलों की किस्मों सहित 180,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ प्रजनन के लिये परागणकों पर निर्भर हैं। ‘खाद्य और कृषि संगठन’ के अनुसार, विश्व भर में लगभग 40% अकशेरूकीय परागणकर्ता प्रजातियां जिनमें विशेष रूप से मधुमक्खियों, भौरों और तितलियों की संख्या में कमी हो रही है। भारत में, जंगली मधुमक्खियों की एपिस प्रजाति की संख्या में पिछले 30 सालों में काफी गिरावट देखी गई है। इनमें एशियाई मधुमक्खी सेराना और छोटे आकार वाली मधुमक्खी, फ्लोरिया भी शामिल है। स्टडी में उपयोग ली गई क्वीन बम्बलबी सामान्य तौर पर उत्तरी अमरीका में पाई जाती हैं। यह स्टडी हर जगह कितनी सामान्य है यह निर्धारित करने के लिए अन्य प्रजातियों पर अध्ययन को दोहराया जाना होगा।