वे पहली बार हम दोनों के बीच हो रही बात के दौरान तब गुस्सा हुए जब मैने कहा कि पाकिस्तान के उदारवादी लोग आपको पसंद नहीं करते हैं। वे आपके विचारों की वजह से ‘तालिबान खान’ कहते हैं। इमरान अमरीका विरोधी भी हैं जिसकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होती है। गुस्से में उन्होंने जवाब दिया कि वे उदारवादी लोग फासिस्ट हैं और मैं उन्हें नहीं जानता। ये उदारवादी लोग गांवों में बम फेंकने का काम करते हैं। ड्रोन हमले में दुश्मनों का साथ देते हैं। वे मुझे इसलिए पसंद नहीं करते और आलोचना करते हैं क्योंकि मैं उनका खुलकर विरोध करता हूं। मैं उनके द्वारा किए जा रहे बम हमलों का विरोध करता हूं जिसमें महिलाएं और बच्चों की मौत होती है। ऐसे लोग इन्हें बढ़ावा दे रहे हैं जो पाकिस्तान के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
वे अफगानिस्तान पर अमरीका की नीतियों और सेना की मौजूदगी का विरोध करते रहे हैं। अमरीकी की नेवी सील फोर्स का भी विरोध करते हैं जिसने ओसामा बिन लादेन का अंत किया था। इनका मानना है कि एक अनुशासित देश को कानून और नीति का पालन करना चाहिए था। ओसामा को भी सद्दाम हुसैन की तरह कोर्ट में ुमुकदमे का मौका देना चाहिए था। चुनावी जीत के बाद खुले मंच से कहा था कि अमरीका पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है और पाकिस्तान उससे जूझ रहा है।
अब देखना ये है कि इमरान कैसे सेना के साथ विदेश नीति तैयार करते हैं। इमरान की जीत को सेना की रणनीति माना गया जिसने वोटों के धु्रवीकरण में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हालांकि इमरान ने कहा कि इसमें कोई सच्चाई है तो वे जांच के लिए तैयार हैं।
अब उनकी असली परीक्षा भारत के प्रति रुख को लेकर होगी। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में कैद की सजा हुई है। इसमें भी पाकिस्तानी सेना का हाथ माना गया क्योंकि नवाज भारत के प्रति नरम रवैया रखते थे। इमरान ने देश की जनता को नए पाकिस्तान का सपना दिखाया। अब सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वे कैसे पाकिस्तान की छवि बेहतर करेंगे। कैसे वे प्रधानमंत्री की गरिमा को कायम करेंगे, वह भी उस स्थिति में जहां सेना सरकार को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित करती है। नवाज ने 2008 के मुंबई आंतकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने की बात स्वीकारी थी। इससे इमरान नवाज से नाराज हुए और उन्हें सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया। बकौल इमरान- नवाज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा बोल रहे थे।
बरखा दत्ता, वरिष्ठ पत्रकार, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत