अनुसंधान केंद्र इंस्टीट्यूट कैटाला डी पेलेओन्टोलोजिया (आईसीपी) के जीवाश्म विज्ञानी अल्बर्ट सेलेसइस के अनुसार इस नई प्रजाति ने यूरोप में आज के खोजे गए सबसे बड़े कछुए लेदरबैक को बौना बना दिया, जो 7 फीट (2 मीटर) लंबा था और मैराथन समुद्री प्रवास के लिए जाना जाता था। नए खोजे गए 12 फीट के लेविथानोचेलीज कछुए को रिकॉर्ड पर सबसे बड़े कछुए आर्केलॉन की टक्कर का माना जा सकता है, जो लगभग 70 मिलियन वर्ष पहले मौजूद था और 15 फीट (4.6 मीटर) लंबा था। आसान शब्दो में लेविथानोचेलिस अगर एक मिनी कूपर कार के बराबर कहा जाए तो आर्केलॉन को टोयोटा कोरोला कार के आकार का माना जा सकता है।
प्राचीन टेथिस सागर में जिसमें लेविथानोचेली तैरते थे, इनका विशालकाय कार जैसा होना ही इनके लिए अच्छा था। दरअसल, शक्तिशाली जबड़े वाले विशाल समुद्री सरीसृप जिन्हें मोसाउर कहा जाता है, इस सागर के सबसे बड़े शिकारी थे। कुछ की लंबाई 50 फीट (15 मीटर) से अधिक थी। लेविथानोचेली के आकार के चलते इन पर हमला संभवतः केवल बड़े शिकारियों द्वारा ही किया जा सकता था। उस समय, यूरोपीय क्षेत्र में बड़े समुद्री शिकारी मुख्य रूप से शार्क और मोसाउर थे।
पृथ्वी पर के अतीत के अन्य बड़े कछुओं में प्रोटोस्टेगा और स्टुपेंडेमीज भी शामिल हैं, दोनों लगभग 13 फीट (4 मीटर) लंबे थे। प्रोटोस्टेगा एक क्रेटेशियस समुद्री कछुआ था जो लगभग 85 मिलियन वर्ष पहले मौजूद था और अपने बाद के ‘चचेरे भाई’ आर्केलॉन की तरह, बड़े अंतर्देशीय समुद्र में बसा हुआ था। स्टुपेंडेमीज को उत्तरी दक्षिण अमेरिका की झीलों और नदियों में लगभग 7-13 मिलियन वर्ष पहले मियोसीन युग के दौरान खोजा गया था।
जीवाश्म विज्ञान में कई अन्य उल्लेखनीय खोजों की तरह इस लेविथानोचेलिस एनिग्मैटिका कछुए की खोज भी पूरी तरह आकस्मिक थी। उत्तरी स्पेन में कोल डी नारगो गांव के पास पाइरेनीज पहाड़ों में एक हाइकर को इसकी हड्डी के टुकड़े मिले। बाद में वैज्ञानिकों ने कैटेलोनिया के ऑल्ट उर्गेल काउंटी में कोल डी नारगो के गांव के पास लेविथानोचेली के अवशेषों का पता लगाया। जीवाश्म की तिथि मालूम करने के लिए इसके कैरपेस या खोल के पीछे के हिस्से के हिस्से और पेल्विक गर्डल से ही अंदाजा लगाया गया है। कोई खोपड़ी, पूंछ या अंग नहीं मिले हैं। जीवाश्मों ने संकेत दिया कि इसमें लेदरबैक कछुओं के समान एक चिकनी कैरपेस है, जिसमें खोल लगभग 7.7 फीट (2.35 मीटर) लंबा और 7.2 फीट (2.2 मीटर) चौड़ा है। माना गया कि लेविथानोचेलिस कछुए खुले समुद्र के ही निवासी थे। ये कभी-कभार ही जमीन पर आते थे।