अब अस्पताल में वार्ड के बाहर कुछ गाडिय़ां खड़ी रहती हैं। ये गाडिय़ां बीएमडब्ल्यू, मर्सीडीज, लेंबोर्गिनी का खिलौना रूप होती हैं, जिन्हें देखकर बच्चों की बांछें खिल जाती हैं। बच्चों को ऑपरेशन थिएटर तक इन्हीं गाडिय़ों में ले जाया जाता है। इन्हें चलाने के लिए नर्स या डॉक्टर रिमोर्ट का प्रयोग करते हैं। जब बच्चे इनमें बैठते हैं, तो अपनी बीमारी भूल जाते हैं। गाड़ी का हैंडल उनके हाथ में होने से उन्हें लगता है कि वे गाड़ी खुद ही ड्राइव कर रहे हैं। बैठाने से पहले उनसे पूछा जाता है कि वे कौन-सी गाड़ी में सवार होना पसंद करेंगे।
अस्पताल का स्टाफ करता है चीयर
इतना ही नहीं, जब बच्चे खिलौना गाड़ी पर सवार होकर ऑपरेशन के लिए जाते हैं, तो रास्ते में अस्पताल का स्टाफ खड़ा होकर उनके लिए चीयरिंग भी करता है। जहां-जहां से बच्चे गुजरते हैं, स्टाफ के लोग उन्हें हाईफाई देते हैं और खुश होकर उनका स्वागत करते हैं। ऐसे में बच्चे अपनेआपको बहुत खास और विजेता की तरह महसूस करते हैं। यही बात उनका डर दूर भगा देती है और वे खिलखिलाने लगते हैं।