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कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चीनी वैक्सीन बेअसर साबित हो रही है, लोगों में संक्रमण दर बढ़ा

Published: Jun 25, 2022 05:36:35 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

Chinese Vaccine: चीन में कोरोना के मामलों उछाल बना हुआ है। इस बीच एक चीन दवरा निर्मित वैक्सीन की प्रभावकारिता पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वैक्सीन लगवा चुके लोगों में गंभीर संक्रमण की शिकायतें सामने आ रही हैं।

China-manufactured vaccines turn out ineffective amid rising corona cases

China-manufactured vaccines turn out ineffective amid rising corona cases

चीन में सबसे पहले कोरोना ने दस्तक दी थी जिसके बाद वो चीन ही था जिसने कम समय में अपनी कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया था। जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही थी चीन ने काफी हद तक कोरोना पर काबू पा लिया था और अपनी जनता को वैक्सीन लगाने का काम शुरू कर दिया था। एक बार फिर से कोरोना ने चीन में अपने पैर पसारने शुरू किये तो चीन की हालत पतली होने लगी है। यहाँ हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वैक्सीन ले चुके लोगों को भी संक्रमण अपनी चपेट में ले रहा है। या यूं कहें चीनी वैक्सीन कोरोना की जंग में बेअसर होती दिखाई दे रही है। कोरोना के बढ़ते मामलों से परेशान बीजिंग सरकार ने कोरोना आउट्ब्रेक की चेतावनी जारी कर दी है। इस बीच चीन द्वारा निर्मित वैक्सीन की प्रभावकारिता की भी पोल खुल गई है।
चीनी वैक्सीन की प्रभावकारिता कम
एशिया के दो बड़े देश भारत और चीन के बीच वैक्सीन निर्माण को लेकर कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। भले ही चीन ने पहले वैक्सीन का निर्माण कर लिया, लेकिन प्रभावकारिता के मामले में भारतीय वैक्सीन कहीं आगे है। WHO के अनुसार दोनों वैक्सीन लेने वालों में इसकी प्रभावकारिता 99.30 फीसदी है, जबकि चीन का केवल 79 फीसदी ही है।

चीनी वैक्सीन Omicron पर बेसर
द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित एक चीनी अध्ययन में सामने आया है कि चीनी वैक्सीन ओमिक्रॉन के अब वेरिएंट को डिटेक्ट करने में असक्षम है। चीनी अधिकारियों ने वायरल ट्रांसमिशन को कम करने के लिए जीरो-कोविड नीति सहित हर संभव प्रयास किये हैं ताकि कोरोना पर काबू किया जा सके, लेकिन सब बेअसर रहा।

वैक्सीन ले चुके लोगों की हालत खराब
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से आम जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। चीन में लगभग 400 मिलियन लोग कोरोना की चपेट में हैं जिनमें से अधिकतर लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा चुकी है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या आए दिन बढ़ रही है। यहाँ तक कि शांघाई में लॉकडाउन के कड़े नियम लागू हैं।
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कई देश उठा चुके हैं चीन की वैक्सीन के प्रभावकारिता पर सवाल
ब्राजील, बहरीन, UAE और इंडोनेशिया जैसे देशों ने चीनी वैक्सीन ली थी, लेकिन बाद में इन सभी देशों ने वैक्सीन की प्रभावकारिता पर सवाल उठाए थे।

सऊदी अरब ने तो पिछले वर्ष ही घोषणा कर दी थी कि वो चीनी वैक्सीन को मान्यता नहीं देगा। ये फैसला पाकिस्तान के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया था जो चीनी वैक्सीन को धड़ल्ले से खरीद रहा था। चीन ने पिछले वर्ष फिलीपींस को एक हजार सिनोफार्म वैक्सीन दान की थी लेकिन फिलीपींस ने इसे ठुकरा दिया था। हालांकि, चीन की कूटनीतिक दबाव में फिलीपींस ने बाद में चीन की एक वैक्सीन का इस्तेमाल जारी कहा था।
खुद चीनी लोग चीनी वैक्सीन से डरे हुए थे
चीन की वैक्सीन पर बाहरी देश के भरोसे की बात तो छोड़िए खुद उसके अपने नागरिक इससे दूर भाग रहे थे। ऐसे में चीनी नागरिकों को चीन द्वारा निर्मित वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के लिए चीन ने फ्री के अंडे, सुपरमार्केट के वाउचर और किराने के प्रोडक्टस पर स्पेशल ऑफर देना शुरू किया था। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चीनी वैक्सीन पर खुद चीनी नागरिकों को भरोसा नहीं है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक चीनी वैक्सीन विशेषज्ञ ने दावा किया था कि , सिनोफार्म कोरोनावायरस वैक्सीन दुनिया में सबसे असुरक्षित है और इसके साइडइफेक्ट्स भी काफी हैं।

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