
India anti Nepal PM Oli visit to China decision on BRI
Indian Border Dispute: भारत के पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान से उसके संबंध ठीक नहीं है। भारत विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान (Pakistan) भारत की संप्रभुता, अखंडता का उल्लंघन करता रहा है और आतंक को फैलाता रहा है। वही हाल चीन का है, जबरन भारत के हिस्सों पर कब्जा करने के बाद भारत से चीन के रिश्ते खराब हुए। अब ऐसी ही हिमाकत एक और पड़ोसी देश कर रहा है। हम बात कर रहे हैं नेपाल (Nepal) की..जी हां। दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल नेपाल अब अपना विस्तार करने के लिए चीन (China) के इशारे में भारत से दुश्मनी मोल ले रहा है। वो अवैध तरीके से भारत के हिस्सों को अपना बता रहा है और तो और अपने नोटों, मानचित्रों में भी उन्हें अपना हिस्सा बताकर छाप रहा है।
दरअसल भारत और नेपाल (India-Nepal Relations) के रिश्तों को बिगाड़ने के लिए और भारत का एक नया दुश्मन पैदा करने के लिए चीन भरकस कोशिश कर रहा है। नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा (KP Sharma Oli) ओली चीन समर्थक माने जाते हैं और कम्यूनिस्ट हैं। चीन के बरगलाने पर ही नेपाल ने कुछ महीनों पहले अपने मानचित्र में भारत के हिस्से दिखा दिए थे और फिर अपने 100 रुपए के नए नोट पर भी भारत के लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दिखाया था, जिसके बाद भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी लेकिन भारत की बात को दरकिनार करते हुए नेपाल ने इन 100 रुपए के नोटों की धड़ल्ले से छपाई शुरू कर दी, ये नोट कोई और नहीं बल्कि चीन छाप रहा है।
नेपाल की सेंट्रल बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक ने चीन की नोट छापने वाली कंपनी बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन से अपने नए नोट छापने की लिए बड़ी डील की है। इसमें नेपाल के 100 रुपये के बैंक नोट की 300 मिलियन प्रतियां डिजाइन की जाएंगी, छापी जाएंगी और फिर बांटी जाएंगी।
जानकारों का कहना है कि नेपाल जो हरकत कर रहा है उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि नेपाल, चीन और पाकिस्तान जैसी ही हरकत भारत से दुश्मनी मोल ले रहा है। नेपाल अपने नए 100 रुपए के नोटो में भारत के इन्हीं लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी क्षेत्रों को दर्शा रहा है।
दरअसल लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी भारत और नेपाल बॉर्डर पर बसे हुए हैं। नेपाल और भारत दोनों ही इन क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं। ये क्षेत्र उत्तराखंड में स्थित हैं इनकी रणनीतिक स्थिति के चलते इन दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हुआ। ये विवाद 1816 में शुरू हुई जब एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद ‘सुगौली संधि’ के तहत नेपाल और ब्रिटिश भारत के बीच सीमाओं का निर्धारण हुआ था, लेकिन दोनों पक्ष इसे अपने-अपने ढंग से व्याख्यायित करते हैं। इस समझौते के मुताबिक महाकाली नदी को भारत और नेपाल की सीमा मानने का फैसला लिया गया था लेकिन इस नदी का स्रोत कहां से शुरू होता है, इस पर दोनों देशों में मतभेद है।
2019 और फिर 2022 में नेपाल ने इन क्षेत्रों को अपने मानचित्र में शामिल किया था। जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। अब नेपाल ने अपने नोटों पर इन क्षेत्रों के छाप रहा है। जिसके बाद अब दोनों देशों के बीच दरार पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
Published on:
12 Nov 2024 09:19 am
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
