scriptएचआर्इवीः गायों की ताकत से इंसानों का इलाज, अमरीकी वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के बेहद करीब | Cow antibodies yield important clues for developing a broadly effective AIDS vaccine | Patrika News

एचआर्इवीः गायों की ताकत से इंसानों का इलाज, अमरीकी वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के बेहद करीब

Published: Jul 22, 2017 07:51:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

देश में गाय को लेकर चल रही बहस आैर हिंसा के बीच सुदूर अमरीकी वैज्ञानिकों ने इसकी मदद से एड्स जैसी बीमारी का तोड़ खोज निकाला है।

देश में गाय को लेकर चल रही बहस आैर हिंसा के बीच सुदूर अमरीकी वैज्ञानिकों ने इसकी मदद से एड्स जैसी बीमारी का तोड़ खोज निकाला है। माना जा रहा है कि एड्स के कारक घातक एचआर्इवी वायरस को फैलने से रोकने के लिए वैज्ञानिकों का ये शोध बड़ी कामयाबी हो सकती है।
एचआर्इवी एक एेसा संक्रामक वायरस है, जिसका अाजतक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। टेक्सास ए एंड एम यूनिर्वसिटी के वैज्ञानिकों ने परीक्षण के दौरान गायों में एचआर्इवी का इंजेक्शन लगाया, जिससे उनकी 35 दिनों के भीतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गर्इ। इसके बाद जब गाययों की प्रतिरक्षी कोशिकाआें की पड़ताल की गर्इ तो पाया गया कि इनमें से एक में एचआर्इवी को फैलने से रोकने के गुण मौजूद थे।
वैज्ञानिकों ने एेसी प्रतिरक्षी कोशिकाआें का एक इंजेक्शन तैयार किया, जिसे एचआर्इवी से ग्रस्त पीड़ित को लगाया। इससे मरीज में मौजूद एचआर्इवी से ग्रस्त पीड़ित को लगाया। इससे मरीज में मौजूद एचआर्इवी के प्रभाव को बेअसर कर दिया। यह इंजेक्शन वैक्सीन के रूप में कब आएगी, यह अभी साफ नहीं हो पाया है। शोध जर्नल ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है।
एेसे किया प्रयोग
वैज्ञानिकों ने 4 गायों को प्रयोग के लिए चुना। उन्हें एचआर्इवी के दो-दो इंजेक्शन लगाए। तकरीबन 30-35 दिन बाद उनमें प्रतिरक्षी कोशिकाएं बनने लगी।

गाय को ही क्यों चुना?
वैज्ञानिकों का मानना है कि गायें एचआर्इवी या उसके जैसे वायरस से आमतोर पर संक्रमित नहीं होती हैं। उनकी प्रतिरोधक क्षमता बेहद खास किस्म की होती है। वह जब एेसे किसी वायरस के संपर्क में आती है तो उनके शरीर में प्रतिरक्षी कोशिकाएं तेजी से विकसित होने लगती हैं। इंटरनेशनल एडस वैक्सीन इनीशिएटिव से जुड़े शोध के प्रमुख लेकर डेविड सोक का कहना है कि एचआर्इवी मानव को प्रभावित करने वाला वायरस है, मगर इससे लड़ने की क्षमता सभी जीवों से है।
नहीं है कोर्इ तोड़
मौजूदा समय में एचआर्इवी का कोर्इ तोड़ नहीं है। इससे ग्रस्त मरीजों को पूरे जीवन जी मिचलाने, उल्टी-दस्त, अनिद्रा की दवाइयां लेनी पड़ती है।

ये हैं भयावह आंकड़े

एचआर्इवी से 2005 में 19 लाख मौतें हुर्इ। वहीं 2016 में ये मौतों का आंकड़ा 10 लाख रहा। 3.67 करोड़ एचआर्इवी ग्रस्त लोगाें में से 1.95 करोड़ लोग उपचार ले रहे हैं। 1980 में इस महामारी के बाद से अब तक 3.5 करोड़ लोग जान गंवा चुके हैं।
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