इस वायरस से इंसानों को खतरा नहीं है। कैलिफोर्निया विवि के पशु चिकित्सा विशेषज्ञ ट्रेसी गोल्डस्टीन का कहना है कि अटलांटिक महासागर में देखे गए वायरस का प्रशांत महासागर में अंत कैसे हो गया। गोल्डस्टीन और उनके साथियों ने पिछले 15 वर्ष के आंकड़ों की जांच की है, जिसमें आर्कटिक की समुद्री बर्फ और उन जानवरों के डेटा शामिल थे, जिन्हें प्रवासन पैटर्न के अध्ययन के लिए टैग किया गया था।
बर्फ पिघलने के बाद पैदा हुआ
जांच के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की बर्फ पिघलने के बाद बदली जलवायु के कारण ये घातक वायरस पैदा हुआ। वर्ष 2002 के अगस्त और सितंबर में भी जलवायु परिवर्तन के कारण काफी मात्रा में बर्फ पिघली थी, जिसके कारण इस वायरस का असर बढ़ा। शोधकर्ताओं ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह के वायरस अन्य महासागारों में भी पैदा हो सकते हैं।