बचपन में ही बन गया कम्प्यूटर का विद्वान
जिस लड़के की 15 साल की उम्र में मौत हो गई उसका जन्म 1991 में लंदन में हुआ था। इसका नाम कार्लोस एक्यूटिस (Carlos Acutis) था। इसके बाद उसके बचपन में ही उनका परिवार अपने इतालवी माता-पिता, एंड्रिया एक्यूटिस और एंटोनिया साल्ज़ानो के साथ मिलान चले गए थे। कार्लोस बचपन से ही बेहद प्रतिभावान शख्स रहा था। कंप्यूटर शिक्षा में वो पारंगत था। जितनी उसकी शिक्षा नहीं थी उससे ज्यादा का वो ज्ञान रखता था। कार्लोस ने रोमन कैथोलिक (Roman Catholic) की शिक्षा को ऑनलाइन फैलाया था, जिससे इस शिक्षा की पहुंच हर एक वर्ग और हर एक शख्स तक हो गई थी। उनके इस काम से लोग इतना प्रभावित हुए कि उन्हें भगवान के फरिश्ते के तौर पर जाना जाने लगा तो कोई उन्हें इंटरनेट के संरक्षक संत की उपाधि भी देता था।
प्राइमरी स्कूलिंग में ही सीख ली कोडिंग
जब कार्लोस स्कूल के शुरुआती दिनों में थे, तब उन्होंने विश्वविद्यालय की कंप्यूटर साइंस (Computer Science) की किताब पढ़ ली थी और इसकी शिक्षा का प्रयोग करके वो खुद कोडिंग करना सीख गए थे और फिर दूसरे साथियों को भी सिखाते थे। इसके बाद उन्होंने वीडियो एडिटिंग और एनीमेशन भी सीख लिया था। अपनी स्कूलिंग पूरी करने से पहले ही उनकी साल 2006 में ल्यूकेमिया (बल्ड कैंसर) से इटली के मोन्जा में मौत हो गई थी। जो पूरे कैथोलिक धर्म (Catholic Religion) के लिए एक गहरा सदमा था।
क्या थे कार्लोस के चमत्कार?
इंटरनेट के संरक्षक संत के तौर पर पहचाने जाने वाले कार्लोस ने अपने चमत्कारों को लेकर एक वेबसाइट बनाई थी। जिसकी देखभाल इटली में कुछ स्थानीय कैथोलिक संगठनों ने की थी।
पहला चमत्कार
कार्लोस को संत तब से माना जाने लगा जब साल 2020 में एक 7 साल का बच्चा अपनी जन्मजात और जानलेवा बीमारी से ठीक हो गया। ब्राजील के इस बच्चे को अग्नाशय की बीमारी थी। वो कुछ भी ठोस पदार्थ नहीं खा पाता था। बचपन से ही उसे सिर्फ लिक्विड डाइट (तरल भोजन) पर रखा गया था। इस बच्चे को लेकर उसका परिवार प्रार्थना सेवा में आया था। कहा जाता है कि इस बच्चे ने सिर्फ कर्लोस की एक टी-शर्ट छू लिया था। फिर उसके माता-पिता ने अपने बच्चे की ठीक होने की कामना की। कुछ देर बाद बच्चे ने अपनी मां से कहा कि वो बहुत ठीक महसूस कर रहा है। इतना ही नहीं बचपन से ही लिक्विड डाइट पर रहने वाले इस 7 साल के बच्चे ने अपनी मां से खाने के लिए कुछ ठोस पदार्थ भी मांगा और खाया भी। इस कार्लोस का चमत्कार माना गया। हालांकि इस घटना का पोप फ्रांसिस ने खुद जांचा-परखा तब जाकर उन्होंने इसे चमत्कार की मान्यता दी।
दूसरा चमत्कार
कार्लोस का दूसरा चमत्कार था कोस्टा रिका की एक लड़की को ठीक करने का…दरअसल ये लड़की इटली की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी। एक साइकिल दुर्घटना में इसके सिर पर गंभीर चोट लग गई थी। इटालियन बिशप्स कॉन्फ्रेंस (CEI) के अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक लड़की की मां एवेनिरे कार्लोस की कब्र पर गई थी और वहां जाकर अपनी बेटी के ठीक होन की प्रार्थना की थी। ठीक इसके कुछ दिन बाद बच्ची की चोट बिल्कुल ठीक हो गई थी उसे वेंटिलेटर से भी हटा दिया गया था। लड़की की मां ने दावा किया था कि कार्लोस ने ही उनकी बच्ची को ठीक किया है।
पोप फ्रांसिस मान्यता दें तो बन जाता है मिलेनियल संत
कैथोलिक धर्म के मुताबिक पोप फ्रांसिस जब खुद किसी के दो चमत्कारों को मान्यता दे देते हैं तो वो शख्स संत बन जाता है या उसे संत की उपाधि दी जाती है। बता दें कि अब तक पोप फ्रांसिस ने 912 लोगों को संत घोषित किया है। इसमें से आखिरी संत का जन्म 1926 में हुआ था और अब घोषित हुए संत कार्लोस का जन्म 1991 में हुआ है।