अमरीका की राजनीति में जो बाइडन, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) और हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi)अभी भी देश के सबसे शक्तिशाली नेता हैं, बाइडन जहां उम्र के नौवें दशक में प्रवेश कर रहे हैं, वहीं अगली 14 जून को ट्रम्प 77 साल के हो जाएंगे जबकि पेलोसी 82 की हो चुकी हैं। इनमें से सिर्फ हाउस स्पीकर पेलोसी ने हाल में कहा है कि मैं अगली कांग्रेस में डेमोक्रेटिक नेतृत्व (Democratic leadership) के लिए फिर से चुनाव नहीं लड़ूंगी, मेरे लिए इसे नई पीढ़ी को सौंपने का समय आ गया है। ट्रम्प और बाइडन अभी भी राजनीतिक नेतृत्व के मैदान में खम ठोक कर खड़े रहने का इरादा रखते हैं। ट्रम्प बाकायदा खुद को अगले राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं जबकि बाइडन ने सीधे तौर पर ऐसा नहीं कहा है लेकिन गाहे—बगाहे यह इच्छा जता चुके हैं।
बुजुर्ग नेताओं का जोश सराहनीय पर बदला समय
कुछ विश्लेषकों के अनुसार अमेरिकी राजनीति के बारे में कड़वी सच्चाई यह है कि जलवायु परिवर्तन, विदेश नीति और स्वास्थ्य देखभाल जैसे मुद्दों पर फैसले किए जा रहे हैं, जिनका असर आने वाले दशकों में दिखेगा और यह देखने के लिए उम्रदराज शीर्ष नेता जीवित नहीं रहेंगे। लेकिन अभी भी राजनीति में पुराने पहरेदारों का ही दबदबा है। यहां तक कि 80 वर्ष के हो चुके रिपब्लिकन नेता मिच मैककोनेल (Mitch McConnell) एक बार फिर सीनेट में अपनी पार्टी के नेता चुने गए। उन्हें चुनौती देने वाले चक शूमर (Chuck Schumer) भी 71 साल के थे। एक वर्ग मानता है कि कुछ मायनों में, पुराने नेताओं का जोश और उत्साह इस उम्र में सराहनीय है लेकिन फिर भी अब युवाओं को आगे लाया जाना चाहिए।
नए खिलाड़ियों को नहीं मिल रहे मौके
अमरीकी राजनीति पर नजर रखने वालों के अनुसार दोनों ही पार्टियों में पिछले सालों से ऐसे युवा सामने नहीं आ हैं जो बहुत एक्टिव रहे और जिन्होंने राजनीति में इतिहास बनाने वाले कोई चमत्कार पेश किए हो। यह भी सच्चाई है कि डेमोक्रेट हो या रिपब्लिक पार्टी, दोनों में ही नए नेताओं को तैयार करने पर ध्यान कम ही गया है। यही वजह है कि जहां संयुक्त राष्ट्र की पूर्व राजदूत निक्की हेली (Nikki Haley), पूर्व-उप राष्ट्रपति माइक पेंस (Mike Pence), पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo), मिसौरी सीनेटर जोश हॉली (Josh Hawley) और साउथ डकोटा से गर्वनर क्रिस्टी नोएम (Christie Noem)जैसे नाम राजनीति में बड़ी पारी का इंतजार करते रह गए। कमला हैरिस (Kamala Harris) थोड़ा आगे बढ़कर उप राष्ट्रपति तक पहुंची लेकिन तथ्य यह भी है कि वे प्राइमरी में बाइडन से पीछे रह गई थीं।
उधर, रिपब्लिकन पार्टी के रॉन डेसांटिस (Ron DeSantis) हाल में फ्लोरिडा के गर्वनर चुने गए। डेसांटिस को अगले राष्ट्रपति के तौर पर प्रोजेक्ट करने की बात उठने के साथ ही ट्रंप भड़क गए और अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर डाली। कल्पना दिलचस्प है कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में अगर बाइडन और डेसांटिस उतरते हैं तो यह लगभग आधी बनाम दोगुनी उम्र वाले उम्मीदवारों का मुकाबला होगा।