जानकारी के अनुसार अभियुक्तों में से मैकेनिकल इंजीनियर अंकुर मिश्रा और चंडीगढ़ स्थित एक इंडो ग्लोबल नामक इंजीनियरिंग कॉलेज का साइट सुपरवाइजर ने कुछ दिन पहले ही दिल्ली कोर्ट में आत्म समर्पण किया है। इससे पहले पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद से तकरीबन एक महीने तक वह फरार था। अन्य तीन अभियुक्त अभिषेक सिंह, अतुल वत्स और हंसु की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे पूछताछ के बुलाया था। लेकिन दो बार पूछताछ के लिए आने के बाद उसने पुलिस को गुमराह करना शुरू कर दिया और फरार हो गया। इस पर कोर्ट ने मिश्रा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए उसकी गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच की टीमें गठित की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वहीं पुलिस ने उससे पूछताछ के बाद चार अन्य लोगों सूरज, रंजन, विशाल, और लखदीप को गिरफ्तार किया। ये चारों इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक है। मिश्रा ने पुलिस को बताया कि वह सिस्टम हैक करवाकर उनमें एम्मी एडमिन साफ्टवेयर इंस्टाल करवाता था। इसके लिए वह उन सभी 2-2 लाख रूपए देता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, चार्जशाीट में अमरीका बेस्ड कंपनी मैसर्स प्रोमेट्रिक टेस्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को भी नामजद किया है। जोकि आरोपी के इस्तेमाल किए गए साफ्टवेयर को पहचान नहीं सकी।
पुलिस ने बताया कि आरोपी सर्वर सिस्टम में एम्मी एडमिन इंस्टाल कर एग्जाम सेंटर के कंप्यूटर को रिमोट सिस्टम पर ले लेते थे। जिससे बाहर के एजेंट की मदद से अभ्यर्थी को पेपर सॉल्व करने में मदद करते थे। मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे पांच दिन की कस्टडी में लिया। इसके बाद मिश्रा ने बताया कि वह नीट एग्जाम 2015 के दौरान नोएडा के एक कॉलेज में साइट सुपरवाइजर रहा था। हालांकि तब उसने किसी की मदद नहीं की थी, लेकिन बाद में नोएडा के एक कॉलेज के लैब टेक्रीशियन और चंडीगढ़ के इन इंजीनियर्स से उसकी मुलाकात हुई और वह इनके साथ शामिल हो गया।