Egypt : आज भी हुस्नी मुबारक के नक्शे कदम पर चल रहा है मिस्र
पूर्व राष्ट्रपति ने तीन दशक तक देश पर शासन किया
2011 में अरब क्रांति (arab spring) के दौरान सत्ता छोडऩी पड़ी

जयपुर.
किसी जमाने में मिस्र में सत्ता की धुरी रहे होस्नी मुबारक की पिछलों दिन मृत्यु हो गई। तीन दशक तक राष्ट्रपति रहने वाले मुबारक अपनी पीढ़ी के किसी भी अरब शासक से ज्यादा शासन करने वाले नेता थे। उनके पास देश को उदार और आधुनिक बनाने का अवसर था, लेकिन मदांध होकर उन्होंने इसे गंवा दिया। 2011 की अरब क्रांति के बाद उन्हें सत्ता छोडऩी पड़ी थी। वायु सेना के पूर्व जनरल मुबारक 1981 में अनवर सादात की हत्या के बाद मिस्र के राष्ट्रपति बने। लेकिन तीन दशक के शासन में खुद को और देश को बदलने की जहमत नहीं उठाई। दशकों मिस्र अस्थिर रहा। 1950 के दशक में गामल अब्देल नासर ने अरब राष्ट्रवादी विचारधारा की नींव रखी थी।
इस बीच आबादी तेजी से बढ़ी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मिस्र पीछे छूट गया। 1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधार के लिए लडखड़़ाते प्रयास किए, जिससे अर्थव्यवस्था में मामूली उछाल आया। लेकिन भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद के कारण विकास रुक गया। शासन के अंतिम वर्षों में मुबारक ने प्रेस की आजादी के साथ ही इंटरनेट को सेंसर नहीं किया, इसके चलते उनके खिलाफ युवा संगठित हो गया। फिर भी चुनाव में धांधली हुई, विरोधियों को प्रताडि़त किया और जेलों में डलवा दिया।
अमरीका ने भी किए मुबारक को हटाने के प्रयास
मुबारक की निरंकुशता को बर्दाश्त करने के बावजूद अमरीका ने मिस्र को 1.5 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता के बदले इजराइल और मिस्र के बीच स्वेज नहर का समझौता करवा लिया। 2005 में जॉर्ज बुश ने लोकतांत्रिक वापसी के प्रयास किए, मुबारक नहीं माने। क्रांति के समय ओबामा ने मुबारक को सत्ता से हटवाने में मदद की, लेकिन मिस्र में तख्तापलट के बाद अल सीसी का सैन्य शासन लौट आया। हालांकि डॉनल्ड ट्रंप ने सीसी को पसंदीदा राजनेता कहा है। हैरानी की बात ये है कि मुबारक के असफल होने का सबक न तो मिस्र ने सीखा और न ही ट्रंप ने।
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