विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मीडिया की इसमें काफी दिलचस्पी होगी क्योंकि रिश्ते की प्रकृति ही ऐसी है और मुझे लगता है कि हम इससे निपट लेंगे। लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि यह एक बहुपक्षीय कार्यक्रम होगा, मेरा मतलब है कि मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं वहां एससीओ का एक अच्छा सदस्य बनने जा रहा हूं। चूंकि मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए मैं उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा।”
PM मोदी को पाकिस्तान ने दिया था निमंत्रण
उन्होंने कहा कि “आमतौर पर प्रधानमंत्री उच्च स्तरीय बैठक, राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में जाते हैं, जो परंपरा के अनुरूप है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि बैठक पाकिस्तान में हो रही है, क्योंकि हमारी तरह वे भी अपेक्षाकृत हाल ही में इसके सदस्य बने हैं। आप हर उस चीज़ के लिए योजना बनाते हैं जो आप करने जा रहे हैं, और बहुत सी ऐसी चीज़ों के लिए जो आप नहीं करने जा रहे हैं, और जो हो भी सकती हैं, आप उसके लिए भी योजना बनाते हैं।” बता दें कि पाकिस्तान ने पीएम मोदी को इस समिट में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया था लेकिन पाकिस्तान की हरकतों को देखते हुए जब तक आतंक खत्म नहीं, तब तक बातचीत नहीं के सिद्धांत पर चलने का फैसला लिया। अब पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर ही भारत का इस समिट में प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले अगस्त में, भारत को SCO काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की व्यक्तिगत बैठक के लिए पाकिस्तान से निमंत्रण मिला था। मई 2023 में, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में SCO बैठक के लिए भारत आए थे। यह छह वर्षों में पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की भारत की पहली यात्रा थी।
क्या है SCO
शंघाई सहयोग संगठन य़ानी SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। इसका पूर्ववर्ती शंघाई फाइव का तंत्र था। वर्तमान में, एससीओ देशों में नौ सदस्य देश शामिल हैं: भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान। एससीओ के तीन पर्यवेक्षक देश हैं: अफगानिस्तान, मंगोलिया और बेलारूस।