scriptवाट्सऐप और सोशल मीडिया से वायरल होने वाली फर्जी खबरें रोकने के लिए समाज भी आगे आए | fake news is stop when people come together againt this | Patrika News

वाट्सऐप और सोशल मीडिया से वायरल होने वाली फर्जी खबरें रोकने के लिए समाज भी आगे आए

locationजयपुरPublished: Feb 02, 2019 04:18:07 pm

Submitted by:

manish singh

सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाली अफवाह, और फर्जी खबरें रोकने का कोई आसान तरीका नहीं है। वाट्सऐप से भेजा जाने वाला संदेश इंक्रिप्टेड (कोडिंग) फॉर्म में होता है जिसे भेजने और पाने वाले के अलावा बीच में कोई नहीं पढ़ सकता है

social media, watsapp, fake news, india, hyderabad, mob lynching

वाट्सऐप और सोशल मीडिया से वायरल होने वाली फर्जी खबरें रोकने के लिए समाज भी आगे आए

भारत दुनिया का पहला देश है जहां वाट्सऐप के माध्यम से संदेश, फोटो और वीडियो को बड़े पैमाने पर शेयर किया जाता है। वाट्सऐप ने जब संदेशों को भेजने पर पाबंदी लगाई तो संदेश भेजने वालों का आंकड़ा काफी कम हुआ है। फेसबुक ने भी इस कड़ी में 300 से अधिक फर्जी पेज हटाए हैं।

फर्जी खबरों से पूरी दुनिया परेशान है। पिछले साल जुलाई में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर वाट्सऐप पर फैली फर्जी खबर का शिकार हुए जिसके बाद भीड़ ने उनकी हत्या कर दी। भारत में इससे पहले भी मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं हो चुकी हैं। वाट्सऐप भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला मैसेजिंग ऐप है जिसका संचालन फेसबुक करता है। घटनाओं को बढ़ते देख आनन-फानन में भारत सरकार ने वाट्सऐप समेत दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों से सख्ती को कहा। उम्मीद की कि कंपनियां इंक्रिप्शन का भी तोड़ निकालें जिससे उन्हें ऐसे संदेशों का पता पहले से चल सके कि संदेश कहां से किसने फैलाया है। हालांकि ये उपयोगकर्ताओं के निजता और सुरक्षा का हनन था, लेकिन ये कहां तक सही है कि निजता के चक्कर में गलत खबरें या अफवाह को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा सकता है? वाट्सऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है।

ऐप से लोग परिवार और दोस्तों से जुड़े हैं। बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल बिजनेस प्लेटफॉर्म के तौर पर भी हो रहा है। इसके अलावा पूरी दुनिया में राजनीति से जुड़ी भ्रामक खबरें फैलाने के लिए भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। कभी-कभी टीकाकरण को लेकर भी गलत सूचनाएं तेजी से इसके जरिए प्रसारित की जाती हैं जिसका असर पूरी योजना पर पड़ता है। खासतौर पर उन इलाकों में जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और एक बड़ी आबादी पढ़ी लिखी नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में फर्जी खबरें जनमानस की विचारधारा पर तेजी से असर डालती हैं जिससे जाने-अनजाने में उन्हीं का सामाजिक और व्यक्तिगत नुकसान होता है।

समस्या के समाधान का आसान तरीका नहीं
सोशल मीडिया के जरिए फैलने वाली अफवाह, और फर्जी खबरें रोकने का कोई आसान तरीका नहीं है। वाट्सऐप से भेजा जाने वाला संदेश इंक्रिप्टेड (कोडिंग) फॉर्म में होता है जिसे भेजने और पाने वाले के अलावा बीच में कोई नहीं पढ़ सकता है। यहां तक की खुद वाट्सऐप भी नहीं। हालांकि कंपनी ‘मेटाडाटा’ तकनीक से ये तो पता कर सकती है की किसने किससे संपर्क किया लेकिन मैसेज में क्या बात हुई इसका पता लगा पाना असंभव है। निजता के नाम पर इस तरह की कोडिंग गंभीर मसला है। इससे ये तो स्पष्ट हो जाता है कि वाट्सऐप आपको इस आधार पर विज्ञापन के लिए चिन्हित नहीं करेगा कि आप क्या संदेश भेज या देख रहे हैं। साथ में वाट्सऐप से भेजा जाने वाला संदेश हैकर्स के पास नहीं पहुंचेगा। हालांकि इसका गलत फायदा गलत सूचनाएं फैलाने वाले लोग उठा रहे हैं जिसका समाज पर बुरा असर पड़ रहा है।

वाट्सऐप कोशिश तो कर रहा है
वाट्सऐप भ्रामक खबरों को रोकने की कोशिश में कुछ बंदिशें लगा रहा है। एक साथ पांच लोगों को संदेश भेजने की सीमा तय कर दी है। आमजन को फर्जी खबरों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान भी चला रहा है। ऐप में भी बदलाव किया है जिसमें एक से दूसरे व्यक्ति के पास आया संदेश आगे बढ़ता है तो उसका चिन्ह उस संदेश में दिखता है। अफवाहों पर रोक लगाने वाली टीम चाहती है कि लोग संदेशों के साथ अपने विचार रखेंगे तो ऐसे संदेश को साबित किया जा सकेगा कि वे फर्जी हैं जिससे किसी बड़ी घटना को होने से रोका जा सकता है। वाट्सऐप की तरफ से शुरू की गई ये मुहिम काबिले तारीफ है लेकिन अभी तक इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।

फास्ट चेक सिस्टम से मिल सकती है राहत
निजता के मूल अधिकार और सूचना की विश्वसनीयता को लेकर असमंजस की स्थिति है और सुरक्षा के सारे कदम वाट्सऐप उठाए ये संभव नहीं है। जो लोग वाट्सऐप इस्तेमाल कर रहे हैं उनके लिए अफवाहों की जांच के लिए फास्ट चेक सिस्टम बनाना होगा। ठीक उसी तरह जैसे फेसबुक न्यूज फीड से गलत सूचनाओं का पता लगाता है। वाट्सऐप यूजर्स को ये सुविधा दे जिससे उनके पास कोई मैसेज आए तो फास्ट चेक का विकल्प हो। इससे यूजर उस संदेश को या उसके लिंक की जांच कर पता कर सकता है कि दूसरे लोगों का उसपर क्या विचार है। इससे व्यक्ति ये तय करेगा कि उसे कौन सा संदेश आगे बढ़ाना है। वाट्सऐप रिव्यूज से कुछ संदेशों के लिए यूजर्स को चेतावनी दे सकता है। फायदा ये है कि वाट्सऐप को किसी के बारे में कोई सूचना या जानकारी नहीं जुटानी होगी और निजता भी बनी रहेगी।

तकनीक को और भी आधुनिक बनाना होगा

फास्ट चेकर्स की टीम को ये तय करना होगा कि उन्हें ध्यान किसपर देना है। एक अमरीकी स्मार्टफोन कंपनी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करती है जिससे उसे पता चलता है कि क्या चर्चा में है, कौन सी वेबसाइट इस्तेमाल करते वक्त फोन की बैटरी सबसे अधिक खर्च होती है। इस प्रक्रिया के तहत किसी की निजता या व्यक्तिगत सूचना भी सार्वजनिक नहीं होती है। फेसबुक भी संदेशों का आकलन करता है और पता रखता है कि सबसे ज्यादा क्या शेयर किया गया पर वाट्सऐप के पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है। अब उसे ध्यान देना होगा जिससे निजता का अधिकार सुरक्षित रहने के साथ भ्रामक और फर्जी खबरों की वजह से होने वाले जानमाल के नुकसान को रोका जा सके।

अविव ओवाद्धया, पूर्व चीफ टेक्नोलॉजी अफसर, एमआइटी, यूएस, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो