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श्रीलंका में मचा कोहराम! 2000 रुपए में मिल रहा एक किलो दूध, भारत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

Published: Mar 24, 2022 06:04:59 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

Sri Lanka food crisis: श्रीलंका में आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि चावल की कीमत अब श्रीलंकाई 500 रुपये किलो हो गई है जबकि दूध पाउडर की कीमत 250 रुपये बढ़ गई है।

Food Shortage Amid Economic Crisis in Sri Lanka: Prices of Rice, Sugar Skyrocke

Food Shortage Amid Economic Crisis in Sri Lanka: Prices of Rice, Sugar Skyrocke (PC: Indiatimes)

श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराने से दूध और चावल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोग यहाँ ईंधन भरने के लिए लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। 7-8 घंटो तक लोग बिना बिजली के गुजार रहे हैं। हाल तो ये ह कि श्रीलंका में प्रश्न पत्रों की छपाई के लिए कागज की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में न हो पाने के कारण स्कूल परीक्षा आयोजित करने में असमर्थ हैं। लोग श्रीलंका छोड़ भआरत आ रहे हैं जिससे भारत में आने वाले दिनों में शरणार्थी संकट गहरा सकता है।
भारत पर मंडरा रहा शरणार्थी संकट का साया
मंगलवार को करीब 16 श्रीलंकाई शरणार्थियों भारतीय तट पर पहुंचे जिनमें से 6 लोगों के एक दल को रामेश्वरम के तट से भारतीय तटरक्षक बल ने बचाया। ये लोग एक टापू अरिचल मुनाई से दूर फोर्थ आइलैंड पर फंस गए थे। इन शरणार्थियों में 3 बच्चे भी शामिल थे। वहीं 10 श्रीलंकाई शरणार्थियों देर रात भारत पहुंचा था। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2 हजार से अधिक शरणार्थी भारत आ सकते हैं।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, श्रीलंका अब तक के सबसे गहरे खाद्य संकट से जूझ रहा है। यहां दूध की भारी किल्लत हो गई है जिस वजह से इसकी कीमतों में असामान्य रूप से बढ़ोतरी हुई है। यहां लोगों को एक किलो दूध के लिए करीब 2 हजार रुपए देने पड़ रहे हैं जबकि 400 ग्राम दूध के लिए 790 रुपए देने पड़ रहे हैं। यहां चावल की कीमत 500 श्रीलंकाई रुपए प्रति किलो पहुंच गई है जबकि एक किलो चीनी की कीमत 290 रुपये तक पहुंच गई है।
श्रीलंका की हालत ऐसी क्यों हुई?
श्रीलंका की इस हालत के पीछे कई कारण हैं जिनमें से एक विदेशी मुद्रा भंडार का कम होना सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। दरअसल, तीन साल पहले जहां श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डॉलर था जो घटकर कर पिछले साल नवंबर में 1.58 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण श्रीलंका चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कर्ज भी नहीं चुका पा रहा है।

श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पादों, दवाइयों जैसी जरूरतों के लिए विदेशी आयात पर निर्भर है,लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण वो आयात कर पाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि यहां स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।

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