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सख्त रुख : जी-7 देशों की चीन को चेतावनी, एशिया प्रशांत का सैन्यीकरण रोके

locationनई दिल्लीPublished: May 21, 2023 07:16:02 am

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Swatantra Jain

जापान के हिरोशिमा में चल रही जी-7 देशों की बैठक में चीन को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को लेकर चेतावनी जारी की गई है। बैठक के दूसरे दिन जारी अंतिम संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि समूह चीन के साथ संरचनात्मक और स्थिर संबंध विकसित करना चाहता है। लेकिन इसके साथ ही वक्तव्य में साफ कहा गया है कि चीन की सैन्य और आर्थिक गतिविधियां चिंता पैदा करने वाली हैं।

G-7 countries warn China

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जापान के हिरोशिमा में चल रही जी-7 देशों की बैठक में चीन को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को लेकर चेतावनी जारी की गई है। बैठक के दूसरे दिन जारी अंतिम संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि समूह चीन के साथ संरचनात्मक और स्थिर संबंध विकसित करना चाहता है। लेकिन इसके साथ ही वक्तव्य में साफ कहा गया है कि चीन की सैन्य और आर्थिक गतिविधियां चिंता पैदा करने वाली हैं। इसी के साथ जी-7 देशों के नेताओं ने चीन से अपील की है कि वह तुरंत रूस को बिना शर्त सैन्य आक्रमकता रोकने और यूक्रेन से अपने सैनिक वापस बुलाने के लिए दबाव बनाए। इसी के साथ दुनिया के सबसे अमीर और प्रभावशाली देशों के नेताओं के समूह ने विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के साथ पश्चिम के सहयोग के रास्ते खुले रखने और टकराव को टालने की भी अपील की है।

यूक्रेन को मिलेंगे एफ-16 फाइटर जेट
हिरोशिमा पहुंचे यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लाडिमोर जेलेंस्की के लिए भी जी-7 से अच्छी खबर आई है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सहयोगी देशों को यूक्रेन को एफ-16 लड़ाकू विमान देने की मंजूरी दे दी है। यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने खुद इसकी पुष्टि की है। वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने जो बाइडेन को F-16 लड़ाकू विमान की मंजूरी के लिए धन्यवाद कहा है। जानकारी के मुताबिक यूक्रेन को एफ -16 देने के लिए इंटरनेशनल फाइटर जेट कोलिशन बनेगा। जानकारी के मुताबिक यूक्रेन को लड़ाकू विमान उपलब्ध करवाने के लिए बनाया जा रहा कोलिशन यूक्रेन के जवानों को इसकी ट्रेनिंग भी देगा। वहीं रूस ने इस सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इसके भीषण परिणाम होंगे।
चीन को 4 स्पष्ट और सख्त संदेश

1. चीन को नुकसान पहुंचाना लक्ष्य नहीं
चीन के साथ जुड़ने के महत्व को रेखांकित करते हुए जी-7 देशों के संयुक्त वक्तव्य में साफ-साफ कहा गया है हमारा नीतिगत दृष्टिकोण चीन को नुकसान पहुंचाने या उसकी आर्थिक प्रगति और विकास में बाधा बनना नहीं है। साथ ही, हम अपनी राह चीन से अलग रखने (डिकपलिंग) की नहीं सोच रहे हैं।
2. राजनयिक विवादों के बीच कारोबारी रणनीतियों को लाने पर चिंता
पहली बार समूह-7 के देशों के वक्तव्य में चीन के प्रति नीति इतनी स्पष्टता और एकजुटता के साथ रखी है। इसमें कहा गया है कि राजनयिक विवादों के बीच में बीजिंग का कारोबारी रणनीतियों को लेकर आना चिंता का विषय है।
3. चीन पर निर्भरता के जोखिम किए जाएंगे कम
समूह ने फिर से अपना संकल्प दोहराया है कि संवेदनशील सप्लाई-चैन में चीन पर भारी निर्भरता घटाते हुए इसको चीन के दबदबे वाले क्षेत्र से दूर ले जाना होगा। आर्थिक मोर्चे पर रिकवरी और लचीलेपन के लिए जरूरी है कि जोखिम कम करते हुए विविधीकरण किया जाए।
4. ताइवान के साथ खड़े हुए जी7 देश
समूह के अंतिम वक्तव्य चीन के द्वारा दक्षिणी चीन सागर के सैन्यीकरण पर चेतावनी देते हुए कहा गया है कि ताइवान खाड़ी में शांति और स्थिरता वैश्विक सुरक्षा के लिए अपरिहार्य है।
रूस ने लगाया 500 अमरीका नागरिकों पर प्रतिबंध
अमरीका के प्रतिबंधों के जवाब में रूस ने भी शुक्रवार को एलान किया कि उसने देश में 500 अमरीकी नागरिकों की एंट्री को बैन कर दिया है। इनमें पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से लेकर टेलीविजन जगत की कई बड़ी हस्तियों के नाम शामिल हैं। रूस ने कहा है कि उसने अमरीकी सीनेटरों, कांग्रेसियों और थिंक टैंक के सदस्यों को रूस विरोधी विचार और उनके प्रसार में शामिल लोगों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
क्लाइमेट चेंज पर ढुलमुल रवैया जारी
बैठक में जी-7 नेताओं ने एक बार फिर फॉसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और 2050 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के अपने सामान्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए अस्पष्ट प्रतिबद्धताओं को दोहराया है, जिससे कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 1.5 सेंटीग्रेड के अंदर ही रखा जा सके।
क्वाड की अगली बैठक भारत में
जी-7 में मेहमान सदस्य के तौर पर जापान के हिरोशिमा में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 20 मई को क्वाड की बैठक में भी हिस्सा लिया है। यहां यह भी घोषणा की गई है कि 2024 में क्वाड की बैठक भारत में होगी। इसको लेकर पीएम मोदी ने कहा कि बैठक की अध्यक्षता करने में भारत को खुशी होगी। क्वाड का मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा हितों की रक्षा करना है। क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
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