दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते दखल के बीच विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अब इस मुद्दे पर रुख बदलने से उनके पूर्वज शर्मसार होंगे साथ ही चीन की सम्प्रभुता के उल्लंघन का मुकाबला नहीं करना देश के बच्चों को भी लज्जित करेगा।
दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते दखल के बीच विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि अब इस मुद्दे पर रुख बदलने से उनके पूर्वज शर्मसार होंगे साथ ही चीन की सम्प्रभुता के उल्लंघन का मुकाबला नहीं करना देश के बच्चों को भी लज्जित करेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि एक हजार वर्ष पहले तक चीन समुद्र के विस्तृत फैलाव वाला देश था लिहाजा वह ननशा द्वीपों की खोज करने वाला, उनका इस्तेमाल तथा उन पर शासन करने वाला पहला राष्ट्र था।
उन्होंने कहा, ”ननशा द्वीपों पर चीन की सम्प्रभुता की मांगों में न तो इजाफा हुआ है और न ही ये कम होंगी अन्यथा हम न तो अपने बुजुर्गों का सामना कर पाएंगे और न ही अपने पूर्वजों को जवाब दे पाएंगे।”
दक्षिण चीन सागर में तेल का भंडार है और चीन इसके अधिकतर हिस्से पर अपना वादा तो करता ही है साथ ही अब इसने यहां निर्माण कार्य भी शुरु कर दिया है जिसके बाद अमरीका सहित अनेक देशों की निगाहें चीन के बढ़ते कदमों पर लगी हुई हैं।
इस रास्ते से 50 खरब डॉलर का व्यापार प्रतिवर्ष होता है। फिलिपीन्स, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी दक्षिण चीन सागर पर अपना-अपना दावा पेश करते हैं। यी ने पूर्व अधिकारियों और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर चीन की सम्प्रभुता का लगातार उल्लंघन तथा चीनी हितों का अतिक्रमण होने दिया गया तो हम अपने बच्चों और बुजुर्गों का सामना नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि अमरीकी विदेश मंत्रालय के द्वितीय वरीयता वाले राजदूत ने विवादित समुद्र क्षेत्र में चीन के निमार्ण कार्य की तुलना पूर्वी यूक्रेन में रूस की भूमिका से की थी। यी ने हालांकि राजदूत के बयान का हवाला नहीं दिया लेकिन अपने निर्माण कार्यों का जमकर बचाव किया और कहा कि अन्य देश तो 1970 से यहां निर्माण कर रहे हैं जबकि उन्होंने ने हाल ही में विकास कार्य शुरु किए हैं।